सविता वर्मा
लाल मिर्च भी औषधि जैसा मसाला है .आया विदेश से और लाए पुर्तगाली .अब देशभर में अलग अलग रंगरूप में मिल जायेगा .गोरखपुर की मिर्चाई यानी छोटी हरी मिर्च बहुत तीखी होती है तो असम की भूत झोलाकिया सबसे ज्यादा तीखी .कश्मीरी लाल मिर्च रंग के लिए मशहूर है .यह इम्यून सिस्टम भी बढ़ाती है और कई तरह से फायदा पहुंचाती है .ये ब्लड थिनर का भी काम करती है .आज जिस मिर्च की चर्चा की जा रही है वह मथानिया मिर्च है .
मथानिया एक कस्बा है जो राजस्थान के जोधपुर ज़िले में है.यहां से जोधपुर हवाई अड्डा मात्र तीन किलोमीटर दूर है.मथानिया की लाल मिर्च अपने रंग और स्वाद के लिए इतनी मशहूर हुई की मेक्सिको के कृषि वैज्ञानिकों का एक दल मथानिया अनुसन्धान के लिए आया और मेक्सिको मैं इसकी बड़े पैमाने पर खेती करने की सम्भावना पर शोध की.राजस्थान का जो लाल मांस मशहूर है उसका ज्यादा श्रेय इस मथानिया मिर्च को ही जाता है .कभी जोधपुर जाएं तो चालीस किलोमीटर दूर मथानिया भी जाएं .यहां के मशहूर मंदिर में दर्शन करें और लौटे तो यह मथानिया मिर्च भी लायें .यह रंग और स्वाद दोनों में बहुत अलग है .पढना और सुनना चाहिए .लिंक कमेंट बाक्स में
मिर्च के बिना खाने का कैसा स्वाद होगा .कैसी चाट होगी या कैसा सालन होगा .यह सोचा भी नहीं जा सकता .पर यह मिर्च देश में पुर्तगाली लेकर आए थे .काली मिर्च जरुर हमारी अपनी है .पर आज कितने तरह की मिर्च होती है पूर्वोत्तर की भूत झोलकिया हो या राजस्थान की मथानिया मिर्च या फिर कश्मीर की रंग बिखेरने वाली कश्मीरी मिर्च .क्या यह मिर्च स्वाद के साथ सेहत के लिए भी अच्छी होती है .
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