भोपाल .किसान संघर्ष समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष आराधना भार्गव ने बताया कि डागावानी पिपरिया, थावरी टेका, चैसरा, हीवरखेड़ी तथा धनौरा के किसानों ने सन् 1987-88 में पेंच पावर प्रोजेक्ट के लिए अपनी जमीन अधिग्रहित की थी, जिसके अवार्ड में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि किसानों द्वारा अधिग्रहित भूमि थर्मल पावर, आवासीय कालोनी तथा थर्मल पावर से निकलने वाली राख एकत्रित करने के लिए ही अधिग्रहित की जा रही है. अवार्ड में किसानों द्वारा अधिग्रहित भूमि बेचने का उल्लेख नही है. सुश्री भार्गव ने कहा कि मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल को अधिग्रहित भूमि बेचने का अधिकार नही है, इस कारण अडानी को जमीन बेंचने का सौदा गैरकानूनी, गैर संवैधानिक होने के कारण बिक्री शून्य है. सुश्री भार्गव ने कहा कि पेंच पाॅवर प्रोजेक्ट से प्रभावित किसानों ने अपनी जमीन का कब्जा कभी भी नही छोड़ा. आज से लगभग 25 वर्ष पूर्व भी किसानों पर मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल ने धारा 250 भू-राजस्व संहिता के अन्तर्गत केश चलाया था. 2015 में किसानों ने जिलाधीश छिन्दवाड़ा को नए भू-अर्जन अधिनियम की धारा 24 (2) के अन्तर्गत आवेदन देकर अवगत कराया था कि वे जमीन के कब्जे में है अतः उन्हें मालिकाना हक प्रदान करते हुए ऋण पुस्तिका प्रदान की जावे. वर्तमान में तहसीलदार चैरई ने हीवरखेड़ी के 20 किसानों को धारा 250 भू-राजस्व संहिता का नोटिस प्रदान किया जिसमें किसानों ने प्रारभिक आपत्ति प्रस्तुत की जिसका निराकरण ना करते हुए बिना सीमांकन तथा बिना किसानों को सुने अतिक्रमण हटाने का आदेश दिनांक 19 जुलाई को दिया, जिसके खिलाफ पीड़ित किसानों ने अनुविभागीय अधिकारी के समक्ष अपील प्रस्तुत की जिसमें किसानों की सुनवाई हेतु 10 अगस्त की पेशी प्रदान की गई. 10 अगस्त के पहले ही अनुविभागीय अधिकारी चैरई, तहसीलदार चैरई तथा टी.आई चैरई द्वारा, किसानों को डरा धमकाकर कोरे कागज पर हस्ताक्षर करवाये गये. इन सब अधिकारियों के खिलाफ पीड़ित किसान राष्ट्रीय मानव अधिकार तथा राष्ट्रीय महिला आयोग के समक्ष शिकायत करने के लिए दिल्ली पहुँच रहे है.
सुश्री भार्गव ने बताया कि तीन किसान विरोधी कानून निरस्त करने की मांग को लेकर 26 नवम्बर से किसान दिल्ली की सीमा पर बैठे हुए है जिसमें लगभग 700 किसान शहीद हो चुके हैं. तीन किसान विरोधी कानून रद्द करने की मांग को लेकर संसद के सामने प्रदर्शन करने के लिए किसान संघर्ष समिति के नेतृत्व में छिन्दवाड़ा के किसान किसान संसद में उपस्थित होकर अपनी बात रखेंगे. सुश्री भार्गव ने बताया कि संसद भवन के सामने 22 जुलाई से 13 अगस्त तक किसान संसद में अडानी पाॅवर प्लाॅट से प्रभावित किसान भी हिस्सा लेंगे तथा अपनी व्यथा बताईयेगे. सुश्री भार्गव ने बताया कि किसान संसद में 9 अगस्त को महिला संसद आयोजित की गई है, उन्होंने बताया कि 09 अगस्त की महिला संसद में छिन्दवाड़ा जिले की महिला किसान उपस्थित होकर तीन किसान विरोधी कानून रद्द करो, सभी कृषि उत्पाद की एमएसपी पर खरीदी की कानूनी गैरंटी दो, बिजली संशोधन बिल 2020 वापस लो, तथा सभी किसानों का सम्पूर्ण कर्जा माफ करो की मांग को पुरजोर तरीके से उठायेगी.
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments