नीतीश कुमार ने चिराग पासवान से हिसाब बराबर किया

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नीतीश कुमार ने चिराग पासवान से हिसाब बराबर किया

आलोक कुमार 
पटना.चाचा-भतीजे की जंग में यूपी में अखिलेश यादव की जीत हो गई.चाचा शिवपाल सिंह यादव पीछे रह गये.उत्‍तर प्रदेश में सपा परिवार का आपसी विवाद जगजाहिर है.सूबे के पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव के बीच लंबे समय तक तनातनी रही. 2016 में सामने अाया यह विवाद लंबे समय तक सुर्खियों में रहा.आखिरकार इस लड़ाई में राजनीतिक जीत अखिलेश यादव की हुई और वे सपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बन गए. 

बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के संस्थापक रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान ने  रामविलास के दामाद अनिल कुमार साधु के अलावे पार्टी के सभी वफादारो को एक -एक कर साइड कर दिया. यहां तक कि अपने चाचा पशुपति कुमार पारस और उनके बेटो को भी.चिराग ने 2020 के विधान सभा चुनाव में 140 सीटो पर अपना उम्मीदवार खड़ा करने के बाद पारस से कुछ पूछना तो दूर उनको जानकारी देना भी मुनासिब नही समझा.ज्वालामुखी विस्फोट होने के बाद परिणाम सामने है आज चिराग खुद साइड कर दिये गये है. 


जानकार लोगों का कहना है कि लोजपा में दबी हसरतों की चिंगारी को जदयू ने कुछ इस कदर भड़काया कि बगावत हो गयी.चिराग को बेदखल कर पशुपति कुमार पारस खुद लोजपा संसदीय दल के नेता बन गये. उनका कहना है कि लोजपा को बचाने के लिए ऐसा करना जरूरी था. लेकिन जिस तरह से वे नीतीश कुमार की तारीफों के पुल बांध रहे हैं क्या उससे लगता है कि वे लोजपा की स्वतंत्र पहचान कायम रख पाएंगे ? रामविलास पासवान दलित राजनीति के एक स्तंभ थे.वे लोजपा की राजनीति के लिए न तो कभी लालू यादव के सामने झुके और न ही कभी नीतीश कुमार से समझौता किया. क्या लोजपा जदयू के 'रिवेंज गेम' का शिकार हो गयी ? 

लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के संस्थापक रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान पार्टी में अलग-थलग पड़ गए हैं.इसके छह में से पांच सांसदों ने एकजुट होकर अपना नेता पशुपति कुमार पारस को चुन लिया है.लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने भी पारस को लोजपा संसदीय दल के नेता के रूप में मान्यता दे दी है.रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस अब चुनाव आयोग में जाकर अपनी पार्टी लोजपा के चुनाव चिह्न पर बंगला छाप और पार्टी के झंडा पर दावा ठोकेंगे. 

इस बीच पूरे मामले की सूचना मिलते ही पार्टी में खलबली मच गई.चिराग ने देर रात तक पार्टी के दूसरे नेताओं के साथ बैठक की और आगे की रणनीति बनाते रहे.उन्होंने रात में श्री पारस से बात करने का भी प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली. रात में बनी रणनीति के तहत सोमवार की सुबह चिराग दिल्ली स्थित पारस के घर पहुंचे. प्रिंस राज भी वहीं पारस के साथ ही रहते हैं, लेकिन चिराग को अपने चाचा के घर में प्रवेश लगभग आधे घंटे के इंतजार के बाद मिली. तब तक पारस प्रिंस को लेकर वहां से निकल चुके थे. 

ऐसे तो कहा जा रहा है कि लोजपा में टूट नहीं है बल्कि नेतृत्व परिवर्तन किया गया है.मगर देखा जा रहा है चाचा-भतीजे की लड़ाई में सुन चाचा बोल भतीजे का माहौल भी नहीं बचा है.चिराग तीन घंटे तक उनके घर पर अपने चाचा पारस का इंतजार करते रहे.अंत में निराश होकर उन्हें लौटना पड़ा. उनकी बात चाची यानी पारस की पत्नी से होती रही.लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उन्होंने कहा कि पारिवारिक बात के अलावा कोई राजनीतिक बात वह नहीं कर सकतीं. 
 
हालांकि  28 नबंबर 2000 को जनता दल से अलग होकर लोजपा बनाने बाले पासवान बंधुओ की पार्टी में लगातार टूट हुई है और 2005 में तो इसके 29 में से 21 विधायको ने पार्टी से बगावत कर साथ छोड़ दिया था. लेकिन रामविलास पासवान के दोनो भाई रामचंद्र पासवान और पशुपति कुमार पारस उनके साथ थे.ये अलग बात है कि 2009 में रामविलास खुद चुनाव हारे ही कभी उनकी पार्टी को दो लोजपा पूरी तरह से लोकसभा में जीरो पर आउट हो गयी. विधान सभा में भी लोजपा को 2005 के बाद कभी दो अंको में विधान सभा में सीटेनही आयी. 2014 में चिराग पासवान के आग्रह पर रामविलास ने बीजेपी से समझौता किया और फिर लोजपा के दिन बहुरे लेकिन पशुपति कुमार पारस समेत रामविलास परिवार के किसी सदस्य ने विधान सभा का मुंह नही देखा. 2017 में लालू से अलग होने के बाद पारस फिर बिहार में मंत्री भी बने और एम एल सी भी. लेकिन 2014 के बाद लोजपा में चिराग की हैसियत दिन दूनी राच चौगुनी बढ़ने लगी.परिणाम सामने है 2020 आते - आते रामविलास के दामाद अनिल कुमार साधु अलावे पार्टी के सभी वफादारो को चिराग ने एक एक करते साइड कर दिया. यहां तक कि अपने चाचा पशुपति कुमार पारस और उनके बेटो को भी . 20 20 के विधान सभा चुनाव में तो 140 सीटो पर अपना उम्मीदवार खड़ा करने वाले चिराग ने पारस से कुछ पूछना तो दूर उनको जानकारी देना भी मुनासिब नही समझा. परिणाम सामने है आज चिराग खुद साइड कर दिये गये है.

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