माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई यहीं से शुरू होती है

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माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई यहीं से शुरू होती है

अंबरीश कुमार  
माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई यहीं से शुरू होती है इसी वजह से लुक्ला एयरपोर्ट को हिमालय का प्रवेश द्वार कहा जाता है.लेकिन अगर मौसम साफ़ हो तभी .यह संयोग जल्दी होता नहीं है .अक्सर तेज हवाओं के साथ बरसात रास्ता रोक लेती है पर्वतारोहियों का .ऊपर अगर बर्फ गिर जाए तो कड़ाके की ठंढ भी .इसका अहसास इस हवाई अड्डे पर जहाज का दरवाजा खुलते ही होता है .बहुत ही खतरनाक माना जाने वाला यह हवाई अड्डा वर्ष 1960 में बनना शुरू हुआ था . हिमालय के प्रवेश द्वार पर बसा यह एयरपोर्ट विश्व का सबसे खतरनाक एयरपोर्ट है. इसका रनवे 20 मीटर चौड़ा और सिर्फ 460 मीटर लंबा है .रनवे के जो अंतरराष्ट्रीय मानक है उसके मुकाबले यह बहुत ही ज्यादा करीब 10 गुना छोटा है .पर यह तो पर्वतारोही सर एडमंड हिलेरी की जिद थी जो यह बन गया वर्ना यह बहुत मुश्किल काम था .पहले तो समस्या जमीन की थी .आसपासके किसान इसके लिए अपनी जमीन नहीं छोड़ना चाहते थे .फिर उबड़ खाबड़ जमीन को समतल करना आसन भी नहीं था .यहाँ तक वे मशीन भी नहीं आ सकती थी जिससे जमीन को समतल कर रनवे का रूप दिया जाए .पर एडमंड हिलेरी ने हिम्मत नहीं छोड़ी और आसपास के शेरपाओं से 2,650 अमेरिकी डॉलर में जमीन खरीदी.फिर उन्ही शेरपाओं को पैसा और शराब देकर काम कराया .काफी मशक्कत के बाद यह रनवे बना . और यह रनवे वर्ष 2001 
तक कच्चा ही रहा बाद में पक्का रनवे बना .वह भी डामर वाला . 
वर्ष 2008 में इसका नाम बदलकर तेनज़िंग हिलेरी एयरपोर्ट कर दिया गया. दरअसल माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई यहीं से शुरू होती है इसलिए इस एयरपोर्ट पर रोज हेलीकॉप्टर और छोटे हवाई जहाज लैंड करते हैं.दरअसल इस जगह तक पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं है है इसलिए हर तरह का सामान छोटे जहाज से ही पहुंचता है .हवाई अड्डे का रनवे केवल हेलीकॉप्टरों और छोटे, फिक्स्ड-विंग, शॉर्ट-टेकऑफ़-एंड-लैंडिंग विमानों जैसे डी हैविलैंड कनाडा डीएचसी -6 ट्विन ओटर, डोर्नियर 228, एल -410 टर्बोलेट और पिलाटस पीसी -6 टर्बो के लिए ही ठीक माना जाता है . हवाई अड्डे की ऊंचाई 9,334 फीट (2,845 मीटर) है.पर रोचक तथ्य यह है कि यहाँ कंट्रोल टावर या राडार आदि नहीं है .आप सिर्फ पायलट के भरोसे ही रहते हैं .अगर जरा सी भी गफलत हुई तो छोटा सा जहाज दस हजार फुट नीचे चला जायेगा .और यह होता भी है .कई दुर्घटना हो चुकी है .फिर करीब अस्सी उड़ाने यहाँ से रोज संचालित होती हैं .इसके बावजूद यह दुनिया के दस सबसे ख़राब और जोखम भरे हवाई अड्डों में शामिल है .काठमांडू से अगर आप लुक्ला की तरफ उड़े तो हो सकता है मौसम साफ़ हो पर लुक्ला में तेज बरसात का भी सामना करना पड़ सकता है .यहां का मौसम तेजी से बदलता है .तेज हवाओं के साथ बरसात में जहाज हिलता डुलता और डराता हुआ उड़ता है . 
वैसे भी छोटे जहाज पर मौसम का असर कुछ ज्यादा ही होता है .नब्बे के दशक में पूर्वोत्तर के दो तीन दौरे हुए .भारतीय वायुसेना का पुराना   एवरो विमान जो एयर पाकेट में आते ही जोर जोर से आवाज करते हुए जब ऊपर नीचे होने लगा तो जान सूख गई .कान पकड़ा कि अब छोटे जहाज से यात्रा नहीं करूँगा पर ऐसा हुआ नहीं और फिर दर्जनों यात्रा छोटे विमानों से हुई .नेपाल में भी . 
पर नेपाल की हवाई यात्राओं का अनुभव भी अदभुत रहा है .कुछ साल पहले पीपुल्स सार्क की बैठक में काठमांडू गया . 
तब सार्क सम्मलेन में भाग लेने नेपाल आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से इस बार नेपाल की राजधानी काठमांडू में सुरक्षा के कुछ ज्यादा ही कड़े इंतजाम नजर आए जिसके चलते लौटते समय त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ज्यादा ही समय बैठना पड़ा तो पशुपतिनाथ मंदिर भी घूम लिए . नेपाल चैंबर में डाक्टर भीमराव अंबेडकर की एक पुस्तक का विमोचन हुआ और उसके बाद दलित मुद्दों पर हो रही चर्चा में बैठे थे .दूसरे सत्र की शुरुआत हो चुकी थी तभी ओवैश ने बताया कि ढाई बजे से शहर के सारे रास्ते बंद हो जाएंगे और कब खुलेंगे कोई पता नहीं .यह सब एक दो दिन से चल रहा था और बहुत सी घरेलू उड़ाने रद्द भी की जा चुकी थी .यह जानकारी ढाई बजने से ठीक पांच मिनट पहले मिली तो होटल से सामान उठा कर टैक्सी वाले से पूछा कितनी देर लगेगी हवाई अड्डे तक पहुँचने में तो उसका जवाब था बीस मिनट से लेकर तीन घंटे तक .अपनी उड़ान साढ़े छह बजे की थी और तीन घंटे पहले पहुँचने का निर्देश दिया गया था .साथ में दीपक थे जो भक्तपुर में एक जनसभा को संबोधित कर आ रहे थे और उन्हें नेपालगंज की बस पकडनी थी तो यह तय हुआ उनके साथ ही टैक्सी से निकला जाए . रास्ता बंद होने के बावजूद ड्राइवर भीतर के रास्ते से करीब आधे घंटे में ही एयरपोर्ट पहुँचने वाला था तभी उसने बताया कि बगल में पशुपतिनाथ मंदिर है .समय था इसलिए तय हुआ मंदिर देखते हुए चलेंगे.मंदिर में एक दो फोटो लेने का प्रयास किया तो सुरक्षा गार्डों ने रोक दिया.पर मंदिर का ज्यादातर हिस्सा देख लिया गया जो पहले भी देख चूका हूँ .पीछे बहने वाली बागमती अब और प्रदूषित हो चुकी है.बहरहाल मंदिर से कुछ ही देर में हवाई अड्डे पहुँच गए जो भले ही अंतरराष्ट्रीय हो पर भारत के छोटे से छोटे हवाई अड्डे से भी ज्यादा बदहाल था.अपने यहाँ हैदराबाद मुंबई और दिल्ली का टी थ्री टर्मिनल तो बहुत दूर की बाद है. आवर्जन के बाद सुरक्षा जांच में देखा की नेपाली लोगों की लाइन भी अलग है और उनका जूता भी उतरवा कर एक्सरे मशीन से गुजारा जा रहा था .काठमांडू के बड़े होटलों के कैसीनो में नेपालियों का जाना पहले से वर्जित है .यह सब बहुत ही हैरान करने वाला लगा जहां एक छोटी सी क्रांति के बाद करीब सात सौ साल की राजशाही ख़त्म हो गई हो और हिंदू राष्ट्र पर लाल झंडा लहराने लगा हो .

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