सब को खुश करने में कितना सफल होंगे नीतीश

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सब को खुश करने में कितना सफल होंगे नीतीश

आलोक कुमार 
पटना.बिहार में पंचायत चुनाव स्थगित है.इसके आलोक में नीतीश कुमार की सरकार ने मुखिया, सरपंच और जिला परिषद सहित तमाम जनप्रतिनिधियों का पावर बरकरार रखने का फैसला किया है.यह फैसला कैबिनेट की बैठक में लिया गया है. 

बता दें कि सत्ता के बाहर जाने वाले त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों के साथ विपक्षी नेताओं ने सरकार से पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़ाने की मांग करने लगे थे.उनका कहना था कि बिहार में कोरोना संक्रमण को देखते हुए पंचायत चुनाव को अभी राज्य निर्वाचन आयोग ने टाल दिया है.राज्य में करीब ढ़ाई लाख पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल 15 जून को समाप्त हो रहा है.पक्ष-विपक्ष में मुखिया और सरपंच के पावर को लेकर तकरार बढ़ गया था.  

इस बीच नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव द्वारा ट्वीट के माध्यम से सरकार से पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल कोरोना काल तक बढ़ाने की मांग की गई. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा है कि सरकार से हमारी मांग है कि कोरोना महामारी के मद्देनजर राज्य में पंचायत चुनाव स्थगित होने के कारण आगामी चुनाव तक त्रिस्तरीय पंचायती प्रतिनिधियों का वैकल्पिक तौर पर कार्यकाल विस्तारित किया जाए, जिससे कि पंचायत स्तर पर कोरोना प्रबंधन के साथ-साथ विकास कार्यों का बेहतर समन्वय के साथ क्रियान्वयन हो सके. 

इस बीच नीतीश सरकार ने मुखिया, सरपंच और जिला परिषद सहित तमाम जनप्रतिनिधियों का पावर बरकरार रखने का फैसला किया है.यह फैसला कैबिनेट की बैठक में लिया गया है.पंचायती राज विभाग ने इस संबंध में नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है.विभाग ने कहा कि पंचायत में परामर्श समिति के अध्यक्ष मुखिया ही होंगे.माना जा रहा है कि आयोग दिसंबर के पहले त्रिस्तरीय पंचायत आम चुनाव संपन्न करा लेगा. 

विभाग की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, तीन स्तर पर परामर्श समिति बनाई गई है.पहला ग्राम स्तर, दूसरा प्रखंड स्तर पर और तीसरा जिला स्तर पर.ग्राम स्तर पर मुखिया परामर्श समिति के अध्यक्ष होंगे, जबकि पंचायत समिति के स्तर पर प्रमुख और जिला समिति के स्तर पर जिला परिषद प्रमुख इस कमेटी के अध्यक्ष होंगे. 

सरकारी नोटिफिकेशन में बताया गया है कि परामर्श समिति के कोई भी अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष बिना कारण बताए तीन लगातार बैठक में शामिल नहीं होते हैं तो उन पर कार्रवाई हो सकती है.इसके अलावा अपने पद का सदुपयोग न करने या दुरूपयोग करने पर भी परामर्श समिति के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को हटाया जा सकता है. 

ग्राम पंचायत परामर्श समिति 
इस समिति में मुखिया अध्यक्ष होंगे, जबकि उपमुखिया उपाध्यक्ष और ग्राम सचिव सचिव पद पर रहेंगे.इसमें पंचायत के सदस्य को सदस्य के रूप में मान्यता रहेगी.वहीं पंचायत समिति परामर्श समिति में प्रमुख अध्यक्ष रहेंगे. इसके अलावा उपप्रमुख उपाध्यक्ष और बीडीओ मुख्य कार्यपालक अधिकारी होंगे. 

जिला परिषद परामर्श समिति 
इसमें जिला परिषद अध्यक्ष को अध्यक्ष बनाया गया है, वहीं जिला परिषद उपाध्यक्ष को उपाध्यक्ष और उपायुक्त को मुख्य कार्यपालक अधिकारी बनाया गया है. 

पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि परामर्शी समिति में अध्यक्ष सदस्य बनाने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई है.अब पंचायत के मुखिया अब पंचायत स्तरीय परामर्शी समिति के अध्यक्ष होंगे. ये कानून स्वतः 16 जून से लागू हो जायेगा और विकास का कार्य पहले की तरह ही चलता रहेगा.  


बिहार में 2016 में गठित पंचायती राज व्‍यवस्‍था और ग्राम कचहरी 15 जून को स्वतः भंग हो जाएगी. जिसके बाद परामर्शी समिति 16 से काम करने लगेगी.  राज्य में ये ऐसा पहली बार हो रहा है कि त्रिस्‍तरीय पंचायत राज की जगह परामर्शी समितियां काम करेंगी. सरकार के जारी अध्यादेश के अनुसार अब इसके तहत पंचायत सिस्टम में पदों के भी नए नाम हो गए हैं. 

बिहार पंचायती राज कानून में संशोधन के लिए बिहार सरकार अध्यादेश ला चुकी है. बीते 3 जून को ही राज्यपाल फागू चौहान ने 15 जून बाद त्रिस्तरीय पंचायतों के संचालन के लिए कानून में संशोधन और परामर्शी समिति के गठन के प्रस्ताव पर मुहर भी लगा दी थी और अब ये कैबनेट में भी पास हो गया  है.

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