एम्स में कोवैक्सीन टीके का ट्रायल

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एम्स में कोवैक्सीन टीके का ट्रायल

आलोक कुमार 
पटना.पटना एम्स में कोवैक्सीन टीके का ट्रायल चला. ट्रायल का 28 मई से रजिस्ट्रेशन शुरू हुआ.स्वेच्छा से 108 बच्चों ने रजिस्ट्रेशन कराया.इसमें 15 बच्चों का क्लीनिकल परीक्षण किया गया तो 3 को ट्रायल के लायक पाया गया.पटना एम्स में बच्चों के टीका के ट्रायल का पहला डोज तीन बच्चों को लगाया गया है.तीनों बच्चे स्वस्थ हैं.एम्स को कुल 80 बच्चों पर ट्रायल का लक्ष्य दिया गया. 

सोमवार को पटना एम्स से वैक्सीनेशन ट्रायल के तहत वैक्सीन का पहला डोज लेकर निकलते तीन बच्चे को उनकी मां के संग देखा गया. वैक्सीन लेने वाले बच्चों ने बताया कि वैक्सीन लेने के बाद उन्हें 2 घंटे ऑब्जर्वेशन रूम में रखा गया. उन्होंने कहा कि वे पूरी तरह से फिट महसूस कर रहे हैं. बता दें कि पटना एम्स में 2 से 18 साल के बच्चों का वैक्सीनेशन ट्रायल चल रहा है. 
 
वैक्सीनेशन ट्रायल से निकले13 वर्षीय दृष्टि ने कहा कि थर्डवेव में बच्चों पर संक्रमण का खतरा ज्यादा है. ऐसे में वैक्सीन अगर वह ले लेती हैं तो संक्रमण का खतरा कम हो जाएगा. यही विचार उनके मन में था जिसके तहत उन्होंने ट्रायल में शामिल होने और वॉलिंटियर बनने का निर्णय लिया.  

वहीं 12 वर्षीय अर्घ्य ने बताया कि वैक्सीन लेने के बाद उन्हें कोई साइड इफेक्ट महसूस नहीं हो रहा है और वह बिल्कुल पहले जैसे ही फील कर रहे हैं. वे कहते हैं कि वैक्सीन से डरने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है. 

वैक्सीनेशन ट्रायल के दौरान वैक्सीन लेने वाली 15 वर्षीय द्रुति कहती हैं कि वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है. द्रुति ने लोगों से अपील की कि जो लोग 18 वर्ष से अधिक उम्र के हैं और जिनके लिए वैक्सीनेशन का ट्रायल चल रहा है, वे वैक्सीनेशन अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें.  

वहीं तीनों बच्चों की मां डॉक्टर कल्पना जो पेशे से डॉक्टर हैं और प्राइवेट क्लीनिक में काम करती हैं, उन्होंने हमसे बात करते हुए कहा कि वे जब 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए पटना एम्स में वैक्सीनेशन का ट्रायल शुरू हुआ था तब भी उन्होंने उसमें हिस्सा लिया था और अब उनके बच्चे भी वैक्सीनेशन ट्रायल में वॉलिंटियर कर रहे हैं.  

कल्पना ने कहा कि कोरोना से लड़ाई में वैक्सीनेशन सबसे महत्वपूर्ण है और अभी के समय 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन चल रहा है. मगर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का रिस्पांस कम नजर आ रहा है. "मैं खुद ट्रायल में शामिल हुई हूं और अब मेरे बच्चे भी ट्रायल में शामिल हो रहे हैं. इसके माध्यम से मैं यह बताना चाहती हूं कि एक डॉक्टर होकर अपने बच्चे को अगर मैं वैक्सीनेशन ट्रायल में शामिल करा रही हूं तो लोग यह मान लें की वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है और इसी के माध्यम से कोरोना से लड़ा जा सकता है." 

बता दें कि एम्स में 2 से 18 साल के बच्चों का वैक्सीनेशन ट्रायल चल रहा है. इस ट्रायल के पहले चरण में 12 से 17 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों का वैक्सीनेट किया जा रहा है. वैक्सीनेशन ट्रायल को तीन चरण में बांटा गया है. ट्रायल के तीनों चरण में 25-25 बच्चों का वैक्सीनेशन होना है. ऐसे में सोमवार को पटना एम्स में वैक्सीनेशन ट्रायल के तहत 12 से 17 वर्ष आयु वर्ग के 4 बच्चों का वैक्सीनेशन हुआ. इसके साथ ही पटना एम्स में 12 से 17 वर्ष आयु वर्ग के अब तक 27 बच्चों का वैक्सीनेशन हो गया है. 

तीनों बच्चों को 28 दिन के अंतराल के बाद दूसरी खुराक दी जाएगी. एक बार उनका टीकाकरण पूरा हो जाने पर टीके के किसी भी दुष्परिणाम के लिए बच्चों की पूरी तरह से जांच की जाएगी.डॉक्टर संजीव के मुताबिक 'पटना एम्स 28, 42, 104 और 194 दिनों में बच्चों पर इम्युनोजेनेसिटी (SARS CoV-2 वायरस से लड़ने के लिए एक स्वस्थ शरीर में उत्पादित एंटीबॉडी की मात्रा) की जांच करने के लिए फॉलोअप करेगा। परीक्षण का अगला और अंतिम चरण भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद से मंजूरी मिलने के बाद शुरू होगा.' आपको बता दें कि पटना एम्स ने बच्चों को उनकी उम्र के आधार पर ट्रायल के लिए तीन समूहों में बांटा है. ये तीन आयु वर्ग 2-5 साल, 6-12 साल और 12-18 साल हैं.

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