बिहार की कानून व्यवस्था पर पर सवाल

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बिहार की कानून व्यवस्था पर पर सवाल

आलोक कुमार 
पटना.एनडीए सरकार में सब कुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है.बिहार में लॉकडाउन पर बीजेपी-जेडीयू आमने-सामने आ गये थे.बिहार में पिछले दिनों हुई सर्वदलीय बैठक में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के वीकेंड कर्फ्यू वाले प्रस्ताव को नीतीश कुमार द्वारा भाव नहीं देने का गुस्सा राजनीतिक बयानबाजी में बदल गया था. अब  बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से बिहार के कानून व्यवस्था पर प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर दिया है. 
भाजपा से निलम्बित एमएलसी टुन्ना पांडे के ट्विटर से शुरू हुआ राजनीतिक घमासान अभी थमा भी नहीं है कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से बिहार के कानून व्यवस्था पर प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर दिया. सीधे गृह मंत्री नीतीश कुमार पर हमला है.हालांकि यह प्रदेश अध्यक्ष का प्रथम प्रहार नहीं हैं,पहले भी कर चुके हैं और सरकार के समक्ष समस्या उत्पन्न कर चुके  है. 
राजनीतिक गलियारों में जोरदार चर्चा है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने सीधे-सीधे जिला प्रशासन पर सवाल खड़ा कर रहे हैं या अपनी ही गठबंधन सरकार को आइना दिखा रहा है.संजय जायसवाल की बातों से लगता है कि अल्पसंख्यक और दलितों के मामले में पुलिस एक तरफा कार्रवाई करती है. जिसकी वजह से दलित समाज में गलत मैसेज जा रहा है. ऐसे में नीतीश कुमार की सुशासन वाली नीति पर संजय जायसवाल ने बड़ा सवाल खड़ा किया है. जबकि नीतीश सरकार में बीजेपी का सबसे बड़ा स्टेक है. 
बिहार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया है.संजय जायसवाल ने रविवार को फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर किया, जिसमें उन्होंने सीमांचल (किशनगंज और पूर्णिया) की घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि प्रशासन निर्दोषों पर ही कार्रवाई कर रहा है. 
कल रामगढ़वा के धनगढ़वा गांव में सूचना मिली कि दलित समाज के लोगों के रास्ते को कुछ अल्पसंख्यक समाज के लोगों ने ईंट की दिवाल बनाकर बंद कर दिया है. मेरी पलनवा थाना प्रभारी से बात हुई और उनके साथ अंचलाधिकारी ने स्वयं स्थान पर जाकर दिक्कत का निदान कर दिया. 
विगत कुछ दिनों में इस तरह की घटनाएं काफी बढ़ गई है.शुरुआत ढाका से हुई जहां सहनी फिर नोनिया और उसके बाद पासवान समाज के बरात को न केवल निकलने पर पीटा गया बल्कि जब वे बेचारे पुलिस की मदद मांगने गए तो दंगे के समय के सिद्धांत के तहत दोनों समाज के लोगों पर मुकदमा एवं गिरफ्तारी का आदेश कर पुलिस ने अपनी जिम्मेवारी की इतिश्री कर ली.इस तरह की छह से ज्यादा घटनाएं ढाका में देखी गई है और हर बार दोषी के बदले दोनों समाज को जेल भेज दिया गया. रामगढ़वा में प्रशासन ने बहुत ही धैर्य से इस मुद्दे को सुलझाया इसलिए उनका साधुवाद. 
       
ये घटनाएं अचानक किशनगंज और पूर्णिया जिले में भी बढ़ गई हैं.वायसी में जो दलितों पर अत्याचार हुआ उसपर भी सरकार ने संज्ञान लेकर वहां के दलितों को इंसाफ दिलाया. प्रशासन को हर जगह चौकसी की जरूरत है. जनप्रतिनिधियों के द्वारा इस तरह की घटनाओं पर  तुरंत संज्ञान लेकर निदान कर दिया जाता है तो भविष्य में स्थितियां हाथ से नहीं निकलती है .पर जब जिला प्रशासन एक तरफ खड़ा होकर निर्दोषों को भी दंड देने लगता है तो समाज में बहुत गलत संदेश जाता है. 

चुनाव के पश्चात पश्चिम बंगाल में जिस तरह दलितों पर अत्याचार हुआ है वैसा केवल 1947 के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन दलित कानून मंत्री योगेंद्र नाथ मंडल के कहने पर जो दलित आज के बांग्लादेश में रह गए थे उन पर ही देखने को मिला था. 
बता दें कि बिहार सरकार बनने के बाद से लगातार बीजेपी की राज्य ईकाई से जुड़े नेता कहते रहे हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकार चलाने में मनमानी करते हैं.खुद डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद बीजेपी कार्यकर्ताओं के सामने स्वीकार चुके हैं कि सरकार पर बीजेपी के एजेंडे की छाप नहीं दिख पा रही है.माना जा रहा था कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव तक सबकुछ ठीकठाक चलेगा.अब चुनाव खत्म हो चुके हैं, खटपट शुरू हो चुकी है.उधर, सीएम बनने के बाद से नीतीश कुमार लगातार अपने संगठन को भी मजबूत करने में जुटे हैं.वैसे भी दूसरे चुनावों के रिजल्ट देखकर बिहार की राजनीतिक फिजा बदलती रही है.  

पश्चिम बंगाल के चुनाव नतीजों पर भी उपेंद्र कुशवाहा ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा था कि 'भारी चक्रव्यूह को तोड़कर पश्चिम बंगाल में फिर से शानदार जीत के लिए ममता जी को बहुत-बहुत बधाई.' इस पर पूर्व विधायक और भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा ने निशाना साधते हुए कहा कि 'लोकतंत्र में आज जो भी लोग चक्रव्यूह की बात कर रहे हैं, वह सही नहीं है. महाभारत के युद्ध में चक्रव्यूह की रचना की गई थी.लोकतंत्र में ऐसे शब्दों का प्रयोग कहीं से भी उचित नहीं. ऐसे बयानों के कारण ही आज पश्चिम बंगाल अशांत हुआ है.'  

संजय जायसवाल के इस फेसबुक पोस्ट के बाद आरजेडी ने मोर्चा खोल दिया है. आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि 'क्या अब हाथ काटेंगे? इस बार तो आपके सहयोगी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने ही नीतीश कुमार और बिहार की सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं.इस बार तो संजय जायसवाल सीधे बिहार की पुलिस जो सीधे मुख्यमंत्री के नियंत्रण में है उस पर सवाल खड़े किए हैं.साथ ही यह भी कहा है कि दलितों और कमजोर वर्ग के लोगों पर जुल्म ढाया जा रहा है.ऐसे में जेडीयू को जवाब देना चाहिए की पार्टी अब क्या करेगी? जब बीजेपी के एक विधान पार्षद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सवाल खड़े किए थे तो जेडीयू के नेता कहते थे कि उंगली उठाने वालों का उंगली काट लेंगे.इस बार प्रदेश अध्यक्ष ने सवाल खड़े किए हैं तो क्या इस बार सवाल खड़े करने वालों का हाथ काटेंगे?'

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