आलोक कुमार
पटना.भाकपा-माले ने कहा है कि सूबे के माले सहित सभी विपक्षी दलों व यहां तक की जनता की मांग को भीअनसुना करके बिहार सरकार ने अलोकतांत्रिक कदम उठाकर परामर्श दात्री समिति के द्वारा पंचायती राज के काम चलाने का निर्णय ले ली है.इस निर्णय के विरोध में राज्यभर में प्रतिवाद किया गया.इसमें पंचायत प्रतिनिधि भी हुए शामिल हुए.
बता दे कि माले सहित सभी विपक्षी दलों व यहां तक की जनता की मांग को अनसुना करके बिहार सरकार द्वारा पंचायतों के कार्यकाल को बढ़ाने की बजाए उन्हें भंग कर परामर्श दात्री समिति के द्वारा पंचायती राज के काम को चलाने के सरकार के निर्णय के खिलाफ आज माले कार्यकर्ताओं ने राज्यव्यापी प्रतिवाद किया. राज्य कार्यालय सहित पटना शहर के विभिन्न इलाकों और सभी जिलों में आज के प्रतिवाद के जरिए माले कार्यकर्ताओं ने सरकार के इस अलोकतांत्रिक कदम का विरोध किया.
भोजपुर, औरंगाबाद, मुजफ्फरपुर, अरवल, सिवान, गोपालगंज, समस्तीपुर, नवादा, नालंदा, गोपालगंज, बक्सर, रोहतास, दरभंगा, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, जहानाबाद, गया, पूर्णिया, भागलपुर, कैमूर आदि अधिकांश जिलों में हाथों में तख्तियों के साथ विरोध दर्ज किया गया. सभी विधायक भी अपने-अपने इलाकों में आज के प्रतिवाद में शामिल हुए. कई स्थानों पर पंचायत प्रतिनिधियों ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया.
पटना राज्य कार्यालय में आयोजित विरोध कार्यक्रम में माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि परामर्श दात्री समिति का झुनझुना हमें नहीं चाहिए. पंचायतों के तमाम अधिकारों को परामर्श दात्री समिति द्वारा इस्तेमाल करने का अध्यादेश, दरअसल कुछ और नहीं बल्कि आपदा में अवसर तलाशने वाली भाजपा-जदयू सरकार सीधे-सीधे नहीं बल्कि थोड़ा घुमाकर पंचायतों पर कब्जा करने की कोशिश मात्र है. यह समिति सरकार द्वारा एक मनोनीत समिति होगी और लगाम भी सरकार के हाथ में ही होगी. परामर्श समिति के गठन की पूरी प्रक्रिया भी सरकार ही निर्धारित करेगी. तब भला ऐसी मनोनीत समितियों से क्या उम्मीदें की जा सकती है? कहा जा रहा है कि इसमें सरकारी कर्मियों को भी शामिल किया जा रहा है. कुल मिलाकर सरकार का उद्देश्य पंचायतों को पंगु बना देना है और सारी सत्ता अपने हाथ में संकेन्द्रित कर लेने की है. .
आगे कहा कि सरकार का यह तर्क कि पंचायतों के कार्यकाल को बढ़ाने का कोई विधान नहीं है, पूरी तरह बोगस है. यदि सरकार पंचायतों के अधिकारों को परामर्श समिति के हवाले करने का अध्यादेश ला सकती है तो फिर पंचायातों के कार्यकाल को बढ़ाने वाला अध्यादेश क्यों नहीं ला सकती है?
कार्यक्रम में पार्टी के वरिष्ठ नेता बृजबिहारी पांडेय, प्रदीप झा, विभा गुप्ता, प्रकाश कुमार, गोरेलाल, हनुमंत कुमार आदि भी उपस्थित थे. इसके अलावा ऐक्टू नेता जितेन्द्र कुमार, रीना प्रसाद आदि नेताओं ने भी अपने घरों से प्रतिवाद किया. पटना जिला के पालीगंज, मसौढ़ी, दुल्हिनबाजार, बेलछी, बिहटा आदि प्रखंडों के सैंकड़ों गांवों में प्रतिवाद दर्ज किया गया.
अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह ने आज के विरोध-प्रदर्शन में हिस्सा लेते हुए कहा कि बिहार की जनता की मांग को अनसुना करके नीतीश कुमार केंद्र सरकार की तरह तानाशाही चला रहे हैं. जनप्रतिनिधियों की भूमिका को कम करना इस भयावह दौर में आत्मघाती साबित होगा. कोविड के प्रति जागरूरकता अभियान में पंचायत प्रतिनिधियों के अनुभव का बेहतर इस्तेमाल हो सकता था, लेकिन सरकार ने इसपर तनिक भी ध्यान नहीं दिया.
आरा जिला कार्यालय में माले विधायक सुदामा प्रसाद, मनोज मंजिल, जिला सचिव जवाहर लाल सिंह आदि नेताओं ने विरोध दर्ज किया. चरपोखरी, जगदीशपुर, गड़हनी, पीरो, तरारी, सहार, अगिआंव आदि प्रखंडों में माले कार्यकर्ताओं ने अपने घरों से विरोध दर्ज किया.
जहानाबाद, मुजफ्फरपुर, नवादा सहित कई जिलों में पंचायत प्रतिनिधियों ने भी आज के प्रतिवाद में हिस्सा लिया. नवादा में आंती पंचायत के वार्ड सदस्य बसंती देवी व पंच सरस्वती देवी ने विरोध दर्ज किया. जहानाबाद के मांदे पंचायत के मुखिया ने भी प्रतिवाद किया.
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