कन्हैया लाल ने राजकपूर से कहा एक भी पैसा नही लेंगे

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कन्हैया लाल ने राजकपूर से कहा एक भी पैसा नही लेंगे

चंचल  
हेमा जी ! कन्हैया लाल जी आप के पिता तो थे ही लेकिन वे अब तक अनेक दिलों में गुदगुदी कर रहे हैं .हम तो खैर उनके घर दुआर के हैं .उनका किस्सा है . ( हेमा सिंह , मशहूर ऐक्टर कन्हैया लाल की पुत्री हैं , हम दोनों एक दूसरे से वाकिफ हैं , हेमा जी फेस बुक पर  भी हैं )   
हम अजीबो गरीब  हरकतों से गुजरे हैं .एक दिन हम अपने तय सुदा वक्त के पहले 81 लोधी इस्टेट पहुंच गए .यह काका यानी राजेश खन्ना का सरकारी आवास था .काका नई दिल्ली के सांसद थे .दिन के तकरीबन तीन बजे रहे थे .हमें  देखते ही उनका स्टाफ खुश हो जाता था,  इसकी कई वजहें रहीं , एक वजह यह रही कि उनपर काम का दबाव कम हो जाता था .हमने पहुंचते ही स्टाफ को बोल दिया काका को मत बताना कि हम आये हैं .किचेन में गाड़ी की चाभी  होगी निकाल लाओ हमे  कहीं  जाना है .लेकिन दिनेश जो उनका निजी सचिव था उसने बदमाशी कर दिया और अंदर जाकर बता दिया .काका बाहर आ गए हाथ मे जिप्सी की चाभी लिए हुए . - कहाँ जा रहे हैं  साहिब ?  
       - नही बस यूं ही आवारागर्दी करने का मन था . 
      -  गजब है , देखिये ठीक यही हमारे भी मन मे था , लेकिन सोचा यह टाइम आपका सोने का है , सो रहे होंगे इसलिए फोन नही किया .चलिए मिल कर आवारागर्दी की जाय . 
    फंस गया .शुरुआत ही गलत कर दिया .अगर यह बोल दिया होता कि किसी लड़की से मिलने जाना है,  तो मामला इतना न खींचता . लेकिन यह नही कह कर गलत बोल गया .लड़की की बात बोला होता तो ज्यादा से ज्यादा यही होता कि काका मायूस हो जाते , -  ठीक है , जल्दी आयेगा टाइम्स पर .' लेकिन गलती शुरू में ही हो गयी . 
     - साहिब!  ऐसा करते हैं नरेश जी ( नरेश जुनेजा )  को बुला लेते हैं , तीनो जन साथ ही निकलते हैं .नरेश जी आये और तीनों जन लफंगई करने निकले .जगह चुनी गई कनॉट प्लेस .नरेश जी दिल्ली के या  आसपास की उस हर जगह से वाकिफ हैं जहां कुछ न कुछ खाने की चीज प्रसिद्ध है .नरेश जी खिलाने के शैकीन हैं .कनॉट प्लेस के चक्कर मे गाड़ी पहुंची तो नरेश जी ने एक जगह गाड़ी रोक दिया .बोले यहां वनीला आइसक्रीम बहुत उम्दा मिलती है .गर्मी की धूप हम लोग गाड़ी में ही बैठे रहे  , नरेश जी ने इशारे से उसे बता दिया .और वनीला आ गयी .हम पूरा नही  खा पाए , बहुत मीठी थी .काका को बताया भी- '  बहुत मीठी है काका भाई ! मुह अजीब सा हो गया .' मुह का इलाज नरेश जी ने बताया - चंचल जी ! अभी आपको एक पान खिलाता  हूँ , तुरत जायका बदल जाएगा .उनदिनों कनॉट प्लेस से जब मिंटो ब्रिज की तरफ मुड़ते हैं तो उसके कोने में ही पान की एक बहुत बड़ी दुकान खुली थी .पान लड़कियां लगाती थी .काका ने सुझाव दिया - नरेश जी ! छह सौ नम्बर बाबा तम्बाकू और हल्का सा  किमाम लगवा लीजिये .पान आया साहब , लगानेवालों ने खाने वालों की शक्ल देख लिया था , अंदाज लगाइए कैसा लगा होगा पान .घर के लिए छह सौ नम्बर बाबा की एक डिब्बी भी ली गयी .बनारसी और पान से दूर , आकर फंसा दिल्ली में .मुरीद हो गया किमाम  और छह सौ नम्बर का .खाने लगा .एक रात काका भाई से पूछा - आपका पान से मिलन कैसे हुआ ?  
     काका ने बहुत मजेदार वाकया सुनाया - दुश्मन (फ़िल्म ) के सेट पर , देश नही दुनिया के बेहतरीन कलाकार कन्हैयालाल से मुलाकात हो गयी .यह हमारे लिए फक्र की बात थी .जो आदमी दिलीप कुमार , बलराजसाहनी सुनील दत्त चुनौती देता चलता है हम क्या थे साहिब ! लेकिन पता नही क्यों कन्हैया लाल  जी हमपर कुछ ज्यादा ही मरहरबान रहते थे .एक दिनअपने लिए  पान  लगा रहे थे .हमे पास बुलाये और बोले - लो बाबू ! पान खाओ , कुछ नही होगा खाकर  देखो और हमने खा लिया .वाह साहब क्या बात है , वह जायका आज भी हमे नही   भूलता .अगला सीन था मुमताज के साथ , उसने जिस तरह से महक की बात        .'बस हम समझ गए ' .' और तब से साहिब ! कभी मन करता है तो पूरे सीक्वेंस के साथ पान खाता हूं , दुश्मन , कन्हैया लाल ,  मुमताज  कट . 
   एक दिन किसी बात पर राजकपूर की  चर्चा चल गई .राज कपूर की एक खूबी जो काका ने बताई वे कभी अपने ऐक्टर को पैसा नहीं देते थे .शूटिंग के दौरान सारे ऐक्टर उनके अपने परिवार के सदस्य रहते थे .कैश की जगह  ' काइंड ' उनका अपना फार्मूला था .और काइंड में लोग उतना पा जाते थे जितना उनको मेहनताना नही मिलता .कन्हैया लाल इसके बरक्स विशुद्ध बनारसी थे .बगैर पैसा लिए किसी फिल्म में दस्तखत नही करते थे .कन्हैया लाल के बारे में राज कपूर जानते थे और कन्हैया लाल जी राज कपूर की इस अदा से वाकिफ थे .किसी फिल्म में शायद 'सत्यम शिवम , सुंदरम ,' के लिए राज कपूर साहब ने कन्हैया लाल को फोन किया और अपने स्टूडियो बुलाया .जिस दिन कन्हैया लाल के आने की सूचना मिली राज कपूर ने गेट दरबान को बुलाकर हिदायत दी कि फला टाइम पर कन्हैया लाल जी आएंगे .उन्हें बाहर ही रोक देना और तुरत हमे खबर देना .यही हुआ   गेट पर कन्हैया लाल रोक दिए गए .कन्हैया लाल उधेड़ बुन में , ऐसा क्यों किया राज ने इतने में क्या देखते हैं नंगे पैर राज कपूर हैले हौले गेट की तरफ आ रहै हैं .आकर कन्हैया लाल को गले लगा लिए और अंदर गए   .बैठते ही बात शुरू हुई  , राज कपूर ने पहला सेंटेंस ही बोला था - कन्हैया लाल जी ! हम आपको अपनी एक फ़िल्म में लेना   .चाहते भी नही बोल पाए होंगे कि कन्हैया लाल ने कहा - कपूर साहब ! अग्रीमेंट का कागज दीजिये हम दस्तखत करते हैं एक भी पैसा नही लेंगे . 
साहिब !,  फ़िल्म इंड्रस्ट्री   में राज कपूर जैसी मेहमान नवाजी और कन्हैयालाल की दयानतदारी अब चुक रही है . 
कन्हैयालाल की एक्टिंग ?  
    फिर कभी , जैसा कि मरहूम नौशाद साहब ने बताया है .
 

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