बाबा रामदेव के खिलाफ सड़क पर उतरे डाक्टर

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

बाबा रामदेव के खिलाफ सड़क पर उतरे डाक्टर

आलोक कुमार  
पटना.योग गुरु बाबा रामदेव और एलोपैथी डॉक्टरों के बीच विवाद बढ़ता ही जा रहा है.रामदेव द्वारा एलोपैथिक डॉक्टरों और आधुनिक चिकित्सा को लेकर की गई टिप्पणी के खिलाफ आज फोर्डा 'ब्लैक डे' मनाया. डाॅक्टर्स आज काले रिबन लगाकर काम करते हुए प्रदर्शन किये. 

सनद रहे कि फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) ने प्रदर्शन का आह्वान 29 मई को किया था और इस बात पर जोर दिया था कि आंदोलन के दौरान स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित नहीं होने दी जाएंगी. बिहार के रेजिडेंट चिकित्सकों ने काली पट्टियां और रिबन पहनकर प्रदर्शन किया. 

फोर्डा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘रामदेव की टिप्पणियों के विरोध में हमारा प्रदर्शन मंगलवार सुबह शुरू हुआ. वह तो ऐलोपैथी के बारे में बोलने तक की योग्यता नहीं रखते हैं. इससे चिकित्सकों का मनोबल प्रभावित हुआ है जो (कोविड-19) महामारी से हर दिन लड़ रहे हैं. हमारी मांग है कि वह सार्वजनिक रूप से बिना शर्त माफी मांगे, अन्यथा महामारी रोग अधिनियम के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए." 

फोर्डा के अधिकारी ने बताया, ‘‘विरोध स्वरूप कई चिकित्सकों ने बांहों पर काली पट्टी बांधी.अन्य शहरों के चिकित्सक भी आंदोलन में शामिल हुए।'' कुछ चिकित्सकों ने विरोध संदेश लिखे प्लेकार्ड ले रखे थे जबकि अन्य ने ऐसी पीपीई किट पहन रखी थीं, जिनके पीछे ‘काला दिवस प्रदर्शन' लिखा था. फोर्डा इंडिया ने एक बयान जारी करके शनिवार को कहा था कि रामदेव के बयानों के प्रति आपत्ति जताए जाने के बावजूद ‘‘अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई.हम स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित किए बिना कार्यस्थलों पर एक जून, 2021 को राष्ट्रव्यापी काला दिवस प्रदर्शन की घोषणा कर रहे हैं''. बयान में कहा गया है, ‘‘हम मांग करते हैं कि वह सार्वजनिक रूप से बिना शर्त माफी मांगे या उनके खिलाफ महामारी रोग कानून, 1897 की प्रासंगिक धाराओं के तहत कार्रवाई की जाए.'' फोर्डा ने यह भी आरोप लगाया कि रामदेव की टिप्पणी ने लोगों में ‘‘टीकों को लेकर हिचकिचाहट'' भी बढ़ाई है.  

फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) के जनरल सेक्रेटरी डॉ सुनील अरोड़ा ने  बताया कि, वैक्सीन के बाद भी हजार डॉकटरों की मृत्यु हो गई, उन्हें बचा नहीं पाए, इस तरह के बयान से डॉक्टरों में आक्रोश है.जिसके कारण हम उनके खिलाफ एक्शन की मांग कर रहे है और काला दिवास मना रहें हैं. 

रामदेव की इन टिप्पणियों का कड़ा विरोध हुआ, जिसके बाद केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने उनसे ”बेहद दुर्भाग्यपूर्ण” बयान वापस लेने को कहा. रामदेव ने रविवार को मजबूर होकर अपना बयान वापस ले लिया. अगले दिन उन्होंने भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) को खुला पत्र लिखकर 25 सवाल पूछे. उन्होंने पूछा कि क्या एलोपैथी से बीमारियों से स्थायी रूप से छुटकारा मिल जाता है.

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :