अंबरीश कुमार बाहर बरसात हो रही थी .शाम से ही .पर अब तो रात हो चुकी थी .बिजली नहीं थी .लैंप डाइनिंग टेबल के बीच रख दी गई थी जिसकी रौशनी ठीकठाक ही थी .मोहम्मद भाई किस्सा सुना रहे थे .दिलीप कुमार ,वैजंती माला से लेकर विमल राय के .उनके खानपान के शौक के . रसोई से मसालों की गंध भीतर तक भरी हुई थी .बीच बीच में तेज हवा का झोंका भी आता क्योंकि एक खिड़की का कांच टूटा हुआ था .जिससे ठंढ बढ़ जाती .फायर प्लेस में लकडियां जल रही थी जिसका धुंवा भी थोडा बहुत कमरे में भरा हुआ था .शायद कोई लकड़ी पूरी तरह सूखी नहीं थी .डाइनिंग टेबल के सामने हुसैन की दीवार पर बनी पेंटिग को हम देख रहे थे अचानक मोहम्मद भाई बोले ,यह हुसैन ने खुद बनाई है जब वे यहां करीब पंद्रह दिन रुके थे .यह रानीखेत के कैंटोमेंट के अंतिम छोर पर बना एक बहुत पुराना होटल था .और सीधे शब्दों में कहें तो यह रानीखेत का पहला होटल था जिसमें हम एक बरसाती शाम को पहुंचे थे .रात हो चुकी थी और डाइनिंग हाल में मोहम्मद भाई के किस्से सुन रहे थे . मोहम्मद भाई आगे बोले ,वैसे भी जो यहां आता था पचास साठ के दशक में हफ्ता दस दिन तो रुकता ही था .और जिस कमरे में आप हैं उसमें वैजंतीमाला रुकी थी जब मधुमती फिल्म की शूटिंग हो रही थी .दिलीप कुमार ,विमल राय से लेकर जानी वाकर तक सब तो यहीं रुके थे .क्योंकि उनके लायक तब कोई होटल रानीखेत में नहीं था .और मधुमती फिल्म का एक मशहूर गाना भी इसी परिसर में फिल्माया गया था .
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