ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ोतरी

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ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ोतरी

आलोक कुमार 
पटना.बिहार में कोरानावायरस संक्रमण से बचाव के लिए लागू लॉकडाउन आज से एक जून तक के लिए बढ़ा दिया गया है. इसके पहले लागू लॉकडाउन का दूसरा चरण मंगलवार को समाप्‍त हो चुका है. बुधवार से लागू तीसरे चरण के लॉकडाउन में जिलाधिकारियों के पास अतिरिक्त सख्ती बढ़ाने का विशेषाधिकार दिया गया है.लॉकडाउन लागू होने से कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या कम होने लगी है,मगर ब्लैक फंगस सर उठाने लगा है.  

बता दें कि बिहार में साल 2021 में पहली बार सीएम नीतीश कुमार ने 5 मई से 15 मई तक लॉकडाउन का ऐलान किया.इसके बाद 16 मई से 25 मई तक लॉकडाउन को बढ़ा दिया गया.20 दिनों के बाद फिर से 7 दिनों के लिए लॉकडाउन जारी रखने का फैसला किया गया है.इस तरह से बिहार में कुल 27 दिन का लॉकडाउन हो गया है.बिहार में विगत 24 घंटे में 6641 मरीज हुए स्वस्थ, सूबे में कुल स्वस्थ मरीजों का आंकड़ा पंहुचा 6,62,491 एवं रिकवरी दर 94.87 प्रतिशत है.राज्य में कोरोना के कुल एक्टिव मरीज 30,992 हैं. 

राजधानी में लगातार ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. हाल ही में राज्य सरकार ने इस बीमारी को महामारी घोषित किया है. सरकार ने ब्लैक फंगस के इलाज के लिए आईजीआईएमएस को डेडिकेटेड अस्पताल बनाया है. फिलहाल संस्थान में ब्लैक फंगस का इलाज चल रहा है. अभी संस्थान में ब्लैक फंगस के 65 मरीजों का इलाज चल रहा है. 

आईजीआईएमएस के अधीक्षक मनीष मंडल ने कहा कि "हमारे संस्थान में डेडिकेटेड डॉक्टर की टीम है. जो इस बीमारी का इलाज कर रहे हैं. कहीं न कहीं सारी सुविधा हमारे यहां उपलब्ध है. साथ ही इस बीमारी के इलाज में जिस दवा की जरूरत होती है, वो भी उपलब्ध है."वहीं आईजीआइएमएस के अधीक्षक मनीष मंडल ने दावा किया कि अब संस्थान में कोविड मरीजों की आने की संख्या कम हुई है और आईसीयू के भी बेड खाली है. कहीं ना कहीं ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या जरूर बढ़ रही है. लेकिन इसका हम लोग लगातार इलाज कर रहे हैं. 

प्रदेश में ब्लैक फंगस के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. मंगलवार को प्रदेश में ब्लैक फंगस के 27 नए मामलों की पुष्टि हुई है. इसके साथ ही ब्लैक फंगस के कुल मामलों की संख्या 334 हो गई है. प्रदेश में अभी लगभग 100 ऐसे ब्लैक फंगस के मामले हैं, जिनकी पुष्टि नहीं हुई है लेकिन मरीजों में सभी लक्षण मौजूद हैं. मंगलवार के दिन प्रदेश में ब्लैक फंगस से 6 मरीजों की मौत हुई है. 


पटना में इलाज के दौरान विभिन्न अस्पतालों में 4 मरीजों की मौत हुई है. जबकि एक मरीज की बेतिया में और एक मरीज की मुजफ्फरपुर में इलाज के दौरान मौत हुई है. आईजीआईएमएस में मंगलवार को ब्लैक फंगस के 19 नए मामले सामने आए. इसके साथ ही यहां ब्लैक फंगस के एक्टिव मरीजों की संख्या 99 हो गई है. अस्पताल के ओपीडी में ब्लैक फंगस की शिकायत को लेकर 50 मरीज दिखाने पहुंचे थे, जिनमें से 19 को एडमिट किया गया.  

आईजीआईएमएस में ब्लैक फंगस के एक्टिव मरीजों में 16 ऐसे मरीज हैं, जो ब्लैक फंगस के साथ कोरोना से भी संक्रमित हैं. 27 मरीजों में आठ अन्य मरीज प्रदेश के दूसरे अस्पतालों में मिले हैं. 

पटना एम्स की बात करें तो यहां भी ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. यहां ब्लैक फंगस के एक्टिव मरीजों की संख्या 62 है. अस्पताल के 50 ब्लैक फंगस डेडिकेटेड वार्ड फुल हो चुके हैं और प्रदेश में अब तक 40 से अधिक ब्लैक फंगस के मरीजों की सर्जरी भी हो चुकी है.'ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज में रोजाना 600 से 800 एंफोटेरिसिन-बी लाइपोसोमेल इंजेक्शन की जरूरत पड़ रही है. ऐसे में मरीजों के लिए डिमांड के अनुसार आपूर्ति हो, इसके लिए सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है. मरीजों की संख्या के अनुपात में दवाइयों की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में नहीं हो रही है. प्रदेश के विभिन्न इलाकों से ब्लैक फंगस से संक्रमित गंभीर मरीजों को सीधे आईजीआईएमएस रेफर किया जा रहा है. जहां तत्काल ट्रीटमेंट की उन्हें सख्त जरूरत पड़ रही है.'  

कोरोना महामारी में जब भी कोई व्यक्ति संक्रमित होता है तो उसे स्टेरॉयड दिया जाता है। लेकिन स्टेरॉयड देने में जो सावधानी रखनी चाहिए उसका ध्यान नहीं दिया जाता है। नतीजा ये होता है कि मरीज ठीक होने की बजाय दूसरी बीमारी से ग्रसित हो जाता है।  

स्टेरॉयड पर डब्ल्यूएचओ ने क्या कहा? 
डब्ल्यूएचओ ने सितंबर 2020 में कोविड में उपचार के लिए स्टेरॉयड - डेक्सामेथासोन और अन्य कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स के इस्तेमाल पर गाइडलाइन जारी किया था. इसने दो सिफारिशें की गई थीं. 

सिफारिश 1 
डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (डेक्सामेथासोन, हाइड्रोकार्टिसोन या प्रेडनिसोन) को कोरोना के गंभीर रोगियों को दिया जाना चाहिए. फेफड़ों की श्वास नली में सूजन और म्यूकस उत्पादन को कम करने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का इस्तेमाल होता है. 
सिफारिश 2 
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि कोविड के जो रोगी गंभीर नहीं है उनके लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का इस्तेमाल गलत है.जब तक कि रोगी पहले से ही किसी अन्य बीमारी के लिए यह दवा नहीं ले रहा हो. 

एक महिला सरकारी कर्मचारी को कोरोना पॉजिटिव होने के बाद निगेटिव होने पर चिकित्सक ने चेस्ट एक्स-रे करवाने का सुझाव दिया.एक्स-रे में बहुत ही कम लंग्स प्रभावित होने पर चिकित्सक ने स्टेरॉयड लिख दिया.इसका विपरित परिणाम सामने आने लगा.मधुमेह मरीज को एफबीएस हाई हो गया.इसके बाद संदेह होने पर ब्लैक फंगस की जांच करवा रही है.जो जांच निगेटिव आया. 
 

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