ऊंट के मुंह में जीरा ही है तो

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ऊंट के मुंह में जीरा ही है तो

आलोक कुमार 
पटना.बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी दधीचि देहदान समिति के संरक्षक हैं.इस समिति के संरक्षक सुशील कुमार मोदी व समिति के महासचिव पद्मश्री विमल जैन ने संयुक्त बयान में कहा है कि दधीचि देहदान समिति ने निर्णय लिया है कि कोरोना से प्रभावित एक हजार परिवारों के बच्चों के भरण-पोषण करने के लिए हर माह  500-500 रुपए की व्यवस्था करेगी. 

इस अल्पराशि पर रवि कुमार ने कहा है कि 500 रुपए को 30 दिन में वितरित किया जाएं तो एक परिवार को 30 दिनों केवल 16.66 पैसा रोजाना पड़ेगा.16.66 पैसा में तो रोज का दो कप चाय भी नहीं मिलता है. यह सस्ता प्रचार का सरल तरीका निकाला गया है. 

पूर्व उपमुख्यमंत्री तथा दधीचि देहदान के सचिव ने बताया कि समिति 500 दानदाता परिवारों को तैयार करेगी जो कम से कम दो बच्चों का सालाना खर्च उठाए.जिन परिवारों के कमाने वाले सदस्यों की मृत्यु कोरोना से हुई है,उनके बच्चों की शिक्षा भरण पोषण के लिए समिति प्रति माह 500-500 रुपये मदद की व्यवस्था करेगी. 

इस पर अशोक चौधरी कहते हैं कि 500.00 रु. में आपके घर के एक स्टाफ का एक दिन का भरण पोषण नहीं होगा. चले है सुशील मोदी 500रु. में एक महीने का भरण पोषण करने. उन्होंने कहा कि ऐसे एक हजार बच्चों की मदद के लिए समिति 500 दानदाता परिवारों को तैयार करेगी जो दो बच्चों की मदद के लिए सालाना बारह हजार रुपये का खर्च वहन करें. इस पर अनुराग कश्यप ने कहा कि पीएम मोदी ने गाँव को गोद लेने का प्रोग्राम भी चलाया था.उसका क्या हुआ?? आपने भी तो गोद लिया होगा ना, उस गाँव का क्या हश्र हुआ है, देखा है कभी जाकर आपने? श्री मोदी ने कहा कि कोरोना जैसी भीषण महामारी में जो व्यक्ति या परिवार सुरक्षित है, वे अपने आप को सौभाग्यशाली समझें और पीड़ित परिवारों के बच्चों की मदद के लिए आगे आएं.इस पर तपाक से छोटा मोदी से रामजी यादव सवाल कि आप ही अपने बारे में बताइए साहब? आप कितने बच्चों का पालन पोषण कर रहे हैं? 

उन्होंने अपील की है कि सक्षम व्यक्ति को ऐसे दो बच्चों की मदद के लिए आगे आने का संकल्प लेना चाहिए जिनके अभिभावक की कोरोना से मौत हो चुकी है तथा आर्थिक संकट के कारण उनके बच्चों का भरण पोषण व शिक्षा प्रभावित हो रही है. उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में दधीचि देहदान समिति की ओर से पीएमसीएस व एनएमसीएच में आने वाले मरीजों के परिजनों व बांसघाट तथा गुलबीघाट में दाह संस्कार के लिए आने वालों लोगों के बीच अब तक 9 हजार से ज्यादा भोजन के पैकेट का वितरण किया गया है. 

यद्दपि केन्द्र व राज्य की सरकारें कोरोना की वजह से अनाथ हुए परिवारों के बच्चों की मदद के लिए योजनाएं तैयार कर रही हैं, मगर समाज का भी दायित्व बनता है कि मदद के लिए आगे आएं. अफरोज आलम ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह योजना भी कागज पर तैयार करके कागज पर ही मत खत्म कर देना है.आपके द्वारा उन लोगों तक पहुंचना चाहिए जो बच्चे अनाथ हुए हैं.जिनके सर से उनके बाप मां का साया हट गया है.बिहार में तो वार्ड मेंबर से लेकर बड़े लेवल तक के लोग चोर बैठे हैं.

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