लक्षद्वीप में भी आग लगाने की साजिश !

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लक्षद्वीप में भी आग लगाने की साजिश !

अंबरीश कुमार 
लक्षद्वीप एक बहुत ही शांत द्वीप रहा है जहां भारतीय जनता पार्टी ने वही प्रयोग शुरू कर दिया है जो उत्तर भारत में कर चुकी है .भाजपा ने जबसे गुजरात के एक पूर्व विधायक प्रफुल्ल पटेल को यहां का प्रशासक बना कर भेजा है तभी से यह समस्या शुरू हो गई है .उन्होंने आते ही अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया .लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन 2021 का जो मसौदा बनाया उसके बाद से ही स्थानीय स्तर पर प्रतिरोध शुरू हो गया है .यहां के लोग इस मसौदे को लोगों की भूमि को हड़पने वाला बता रहे हैं .दरअसल हमें लक्षद्वीप की सांस्कृतिक भौगोलिक पृष्ठभूमि को समझना चाहिए तब इस विवाद को समझने में आसानी होगी . 
मालाबार अंचल की संस्कृति को समेटे लक्षद्वीप वह जगह है जहां महिलाओं की सत्ता रही है .घर की मुखिया महिला होती है .अपने को कुछ समय लक्षद्वीप के कई अन्य द्वीपों पर भी गुजारने का मौका मिला था तब वहां की धर्म ,रीति रिवाज और संस्कृति को समझने का प्रयास किया .यहां कभी कोई विवाद होते नहीं सुना है झगडा फसाद तो दूर की बात है .लक्षद्वीप में सिर्फ एक द्वीप बंगरम को देसी विदेशी पर्यटकों के लिए खोला गया था बाक़ी द्वीप पर सैलानियों को ठहरने की इजाजत नहीं थी .ऐसा इसलिए ताकि इस द्वीप की सांस्कृतिक सामाजिक और प्राकृतिक धरोहर को सुरक्षित रखा जा सके .यह मूंगे के कई द्वीप पर बसा है जहां का शासन प्रशासन केंद्र के अधीन है .यह द्वीप पूरी तरह केरल पर निर्भर रहा है .अनाज ,शाक सब्जी और फल से लेकर अन्य जरुरी सामान लेकर पानी का जहाज हफ्ते में तीन चार फेरे लगाता है .यह जहाज कोच्ची से करीब सोलह अठारह घंटे में लक्षद्वीप की राजधानी कावरेत्ती पहुंचता है .मुझे याद है जब कावरेत्ती में दिल्ली प्रशासन के एक बड़े अधिकारी के घर दस दिन से ज्यादा रुकना हुआ तो शाक सब्जी खत्म होने पर एमवी टीपू सुलतान नाम के कार्गो जहाज का जेटी पर इन्तजार करते थे .वजह लक्षद्वीप में केला पपीता के अलावा कुछ भी नहीं होता था .हम भी जब कोच्ची से चले थे तो पंद्रह दिन का राशन आदि लेकर आये थे .तीन द्वीप कावरेत्ती ,अगाती और बंगरम में हमें रुकने का अवसर एक खास परमिट की वजह से मिला था जिसे केंद्र सरकार से बनवाया गया था .वर्ना बंगरम द्वीप के अलावा रुकने भी नहीं मिलता .खैर  
तभी समझ में आया यह कैसी जगह है और केरल से किस तरह जुडी हुई है .  
पर जब से गुजरात के पूर्व विधायक प्रफुल्ल पटेल को नया प्रशासक नियुक्त किया गया तभी से लक्षद्वीप के लोगों की दिक्कतें बढ़ गई .उन्होंने कई अभिनव प्रयोग शुरू कर दिए .अब यहां कोई धार्मिक विवाद तो हो नही सकता था क्योंकि एक ही धर्म के लोग थे इसलिए उन्होंने इनके धार्मिक मामलों में टांग अड़ाना शुरू किया .मूल रूप से लक्षद्वीप के लोगों का रिश्ता नाता केरल के मालाबार अंचल से जुड़ा हुआ है और वे कोच्ची से आते जाते हैं .अब नए प्रशासक ने इस रूट की जगह कर्नाटक के मंगलूर से इसे जोड़ने की कवायद की है .कर्नाटक में भाजपा की सरकार है और केरल में वाम मोर्चे की .इससे इनकी मंशा को आसानी से समझा जा सकता है .फिर लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन 2021 लाया गया जिसमें दो प्रमुख मुद्दे  थे जिसपर विरोध शुरू हुआ .पहला यह अंचल जहां शराब प्रतिबंधित थी वहां से प्रतिबंध हटाना ताकि सभी को शराब मिल सके .गौरतलब है कि बंगरम द्वीप जहां देसी विदेशी सैलानी जाते हैं वहां शराब उपलब्ध होती है क्योंकि वहां कोई स्थानीय आबादी नहीं है .कुल दर्जन भर काटेज है .लक्षद्वीप प्रशासन का अपना दो काटेज है जिसमें मै भी रुक चुका हूं .खाने पीने के सामान के साथ अगाती से ही हमारे साथ रसोइया भेजा गया था क्योंकि समूचा द्वीप कैसिनो होटल रिसार्ट के अधीन है और उसका प्रबंधन भी उनके हाथ में ही रहता है क्योंकि सिर्फ सैलानी ही वहां जाते हैं .अब भाजपा के नए प्रशासक की मंशा से साफ है कि वे देर सबेर अन्य द्वीप में शराब से प्रतिबंध हटाकर इसे भी सैलानियों के लिए खोलने की कवायद करने वाले हैं .अगर यह हुआ तो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण होगा . 
दूसरा मुद्दा यहां के लोग मांसाहारी है .तटीय अंचल पर अमूमन ज्यादातर लोग मांसाहारी होते हैं .जिसमें मछली मुख्य होती है जो आसानी से उपलब्ध है .इसके अलावा मटन मुर्गा आदि भी .अब लक्षद्वीप पशु संरक्षण कानून बनाया जा रहा है, जिसमें गाय, बैल, भेंस आदि  मारने  पर प्रतिबंध लगाया जाएगा.ध्यान रहे भाजपा शासित गोवा में आपको बीफ आसानी से ही नहीं मिलता बल्कि कैंडोलिम में तो हर रेस्तरां शाम को बाहर बोर्ड लगा कर बताता है कि आज के मीनू में बीफ का कौन सा व्यंजन है .यह सब अपना देखा हुआ है .पर  
लक्षद्वीप में वे इस पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं .क्यों क्या यह समझना मुश्किल है ?  

यही वजह है कि लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल ने इसका विरोध करते हुए कहा , इस अधिनियम के तहत वह यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि मुझे क्या खाना चाहिए या मुझे क्या नहीं खाना चाहिए. वह मेरा संवैधानिक अधिकार है .वे मेरा संवैधानिक अधिकार छीन रहे हैं. इस सबके चलते प्रशासक और स्थानीय नेताओं पर विवाद शुरू हो गया है.  सोशल मीडिया पर #SaveLakshadweep ट्रेंड कर चुका है .कांग्रेस ,वाम दलों ने इस मुद्दे को लेकर अपनी नाराजगी जता दी है .भाकपा माले ने लक्षद्वीप के प्रशासक को फ़ौरन हटाने की मांग की है .राजनीतिक दलों को यह आशंका है कि भाजपा शांत रहे लक्षद्वीप के माहौल में भी कहीं उत्तर भारत की तरह आग न लगा दे .

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