लखनऊ. भाकपा (माले) ने मंगलवार को नक्सलबाड़ी किसान विद्रोह की 54वीं वर्षगांठ मनाई. प्रदेश में नक्सलबाड़ी दिवस मनाते हुए ऐतिहासिक विद्रोह के 11 शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई. इस विद्रोह की क्रांतिकारी भावना के अनुरूप एक बराबरी वाले लोकतांत्रिक समाज के निर्माण के लिए और उसमें बाधक फासीवादी ताकतों के खिलाफ संघर्ष तेज करने का संकल्प लिया गया.
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि आज देश की जनता को मोदी सरकार के कुशासन और कोरोना की दूसरी विनाशकारी लहर से बचाने की चुनौती है. देश में कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों का सरकारी आंकड़ा अब तीन लाख से पार जा चुका है, जबकि वास्तविक आंकड़ा इसके पंद्रह गुना होगा. पिछले दो महीनों में मौत के आंकड़े दोगुना बढ़े हैं. पूरी दुनिया में जितनी मौतें कोरोना से रोज हो रही हैं, भारत में रोज संभवत: उससे ज़्यादा लोग कोरोना से मारे जा रहे हैं. प्रदेश में गंगा में बहती और नदियों के किनारे बालू में गड़ी लाशें दिख रही हैं.
वक्ताओं ने कहा कि नक्सलबाड़ी एक किसान विद्रोह था. इस दौर में हम खेती को कारपोरेट नियंत्रण से बचाने के लिए चल रहे ऐतिहासिक किसान आंदोलन के गवाह हैं. 26 मई को दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के अनिश्चितकालीन धरने के छह महीने पूरे हो जाएंगे. वक्ताओं ने कहा कि कोरोना कुप्रबंधन और किसानों की अनदेखी के चलते एक बार फिर लोगों का बड़े पैमाने पर भाजपा और उसकी सरकार से मोहभंग हो रहा है. ऐसे में फासीवादी शक्तियों के खिलाफ संघर्ष को तेज करना वक्त की मांग है.
राज्य सचिव सुधाकर यादव ने चंदौली में कोरोना नियमों का पालन करते हुए नक्सलबाड़ी दिवस के कार्यक्रम को संबोधित किया, जबकि अन्य जिलों में पार्टी जिला सचिवों के नेतृत्व में कार्यक्रम हुए।
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