आलोक कुमार
पटना.नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा है कि बिहार में हज़ारों की संख्या में केंद्र बंद पड़े है.लेकिन कागजों में सुचारु रूप से संचालित है.ऐसे हज़ारों स्वास्थ्य केंद्रों को मुख्यमंत्री और बीजेपी के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे का विशेष आशीर्वाद प्राप्त है.
कल्पना करिए, प्रतिवर्ष कितने हज़ारों करोड़ का ग़बन हो रहा है.मधुबनी के सकरी का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र!अब बिहार की ऐसी स्वास्थ्य व्यवस्था के स्वास्थ्य के ऊपर क्या कहा जाए?अपने सरकारी आवास में अपने लिए छोटा कोविड अस्पताल बना लिये हैं!
बाकी लोग इस बांका जिले के बौंसी प्रखण्ड के बभनगामा के स्वास्थ्य केंद्र जैसों में जाकर, सिस्टम की दीवारों पर माथा फोड़ फोड़कर अपना इलाज करवाएँ! ये मीनापुर का रेफरल अस्पताल है जो बन तो गया परंतु करीब 15 साल में एक बार ताला भी नहीं खुला!अपनी संवेदनहीनता से जो गरीबों की हड्डियों का रोज जो तेल निकालते हैं, उसी तेल के ऑयलिंग से ही यह ताला खोलेंगे "सिर्फ़ 'काम' करने वाले मुख्यमंत्री" नीतीश! पार्ट टाइम राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री और फुल टाइम शराब माफिया 'श्री' राम सूरत राय के विधानसभा क्षेत्र औराई के मधुवन प्रताप चरवाहा उप स्वास्थ्य केन्द्र की हालात को देखिए!साक्षात 'सुशासन' के तिकड़मी देवता है.
राजद कार्यकर्ता राजद कोविड केयर के अंतर्गत दवा,ईलाज के साथ ज़रूरतमंदो की मदद कर रहे है.लालू रसोई के माध्यम से गरीबों को राशन और भोजन उपलब्ध करा रहे है और साथ ही साथ कागज पर कार्यरत बंद पड़े स्वास्थ्य केंद्रो को उजागर करते हुए पोल-खोल अभियान जारी रखे हुए है.
ये कोई पशुओं को बांधने वाला पुराना घर या कोई खंडहर नहीं!बल्कि प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र कबिलासपुर है जो रामगढ़ विधानसभा अंतर्गत दुर्गावती प्रखंड में आता है.ये जर्जर भवन आपके सामने और भाजपा द्वारा किए गए क्षतिग्रस्त स्वास्थ्य व्यवस्था की मिसाल पेश कर रहा है!
कोरोना संकट में बिहार की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की पूरी पोल खुल गई है.पटना का पीएमसीएच हो या एनएमसीएच या फिर जिला और प्रखंड लेवल का पीएचसी. सभी अस्पतालों की कमोबेश वही स्थिति है. सरकार बजट का बड़ा भाग अस्पतालों के भवन निर्माण पर खर्च करती है. इसकी हकीकत भी सामने आ गई है. हर साल अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर पीएचसी,रेफरल अस्पताल,अनुमंडलीय अस्पताल के जीर्णोद्धार के नाम पर करोड़ों रू. पानी की तरह बहाये जाते हैं.वास्तविकता यही है कि पैसे कागजों पर ही खर्च हो जाते हैं. सरकार पीएचसी का भवन बनाने में दिलचस्पी दिखाती है. लेकिन सिर्फ भवन बनाने से स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर नहीं हो सकता.इसके लिए डॉक्टर और पारा मेडिकल स्टाफ चाहिए.राजद ने भूतबंगला बने सरकारी अस्पतालों की पोल खोलने का अभियान चला रखा है.आरजेडी ने अब तक सैकड़ों अस्पतालों के भवन जो भूतबंगला बन गये हैं उसके माध्यम से सुशासन की सरकार को आईना दिखाया है.
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