गिरीश मालवीय
पहले दिन से मालूम था कि राज्यो द्वारा वेक्सीन का ग्लोबल टेंडर निकालना ढकोसला है. फ़ाइजर पहले ही स्पष्ट कर चुका था कि वह देश मे एक सेंट्रल एजेंसी से डील करेगा और वह सिर्फ केंद्र सरकार ही हो सकती है. कल शाम को मॉडर्ना ने भी कह दिया कि कंपनी केवल केंद्र के साथ ही सौदा कर सकती है न कि किसी राज्य सरकार या निजी पार्टियों के साथ . जब पंजाब सरकार के अनुरोध को उसने अस्वीकार किया.आज फाइजर और मॉडर्ना ने दिल्ली सरकार को भी वैक्सीन देने से साफ इनकार कर दिया
सीधी सी बात है दुनिया मे कोई 50-60 कम्पनिया तो वेक्सीन बना नही रही, गिनीचुनी चार पाँच कपनियां है जो यह काम कर रही है, उनसे डीलिंग केंद्र सरकार ही कर सकती है वही नोडल एजेंसी बन सकती है.
लेकिन मोदी सरकार तबेले की बला बंदर के सिर करते हुए राज्यों को कह दिया कि अपनी वेक्सीन का इंतजाम वो खुद करे. हम जानते हैं कि सीरम ओर भारत बायोटेक की क्षमता सीमित है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया एक महीने में कोविशील्ड की 6.5 करोड़ खुराक का उत्पादन कर रहा था और भारत बायोटेक एक महीने में कोवैक्सिन की बहुत से बहुत दो करोड़ खुराक का उत्पादन कर पा रहा है जुलाई तक उसकी क्षमता बढ़ जाएगी ऐसी उम्मीद है, लेकिन कोई गारण्टी नही है.
ऐसे में केंद्र सरकार को चाहिए था कि वह स्वंय आगे बढ़कर फाइजर, मॉडर्ना ओर जॉनसन एंड जॉनसन से बात करता लेकिन नेताओं में इतनी अक्ल है कहा ? उसने राज्यों को कहा कि वो ग्लोबल टेंडर निकाले ? ओर आज सामने आ गया कि लौट के बुद्धू घर को आए.
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