डा शारिक़ अहमद ख़ान
मरीज़ों के लिए ये प्रोटीन पैक है.हमने भी ट्राई किया,हम मरीज़ नहीं लेकिन महाबली को चाहिए कि जो भोजन शिफ़ाख़ाने में मरीज़ करते हैं उसे कभी-कभार ख़ुद भी चखकर देखें,ताकि ग़िज़ा की गुणवत्ता का पता चल सके.भारत सम्राट अकबर यही करते,उन्हीं से प्रेरणा प्राप्त कर हमने भी ये प्रोटीन पैक चखा,वरना हम तो सबसे बढ़िया प्रोटीन एनिमल प्रोटीन भोजन के तौर पर लेते हैं.इसमें पड़ी चीज़ें अंकुरित हैं,मसलन चना-मूंग-सोयाबीन और मेथी.
लिहाज़ा ऐसे हज़रात जिनकी बीवी ज़ालिम है,घर में गोश्त-मछली नहीं बनने देती,मुर्ग़ नहीं काटने देती,या जो हज़रात बीवी या समाज के डर से छिपकर इन एनिमल प्रोटीनयुक्त चीज़ों को होटलों में खाने के लिए मजबूर हैं,ऐसे कोविड के दौर में भी जिनको बेस्ट प्रोटीन एनिमल प्रोटीन युक्त भोजन नहीं मिल रहा हैं,उनके लिए ये अंकुरित पैक कोविड में अमृत समान है,घर में बनाएं और सेवन करें,ये कोविड में बढ़िया प्रोटीन का स्रोत है और कोविड के दौर में प्रोटीन लेना ज़रूरी है.इसी अंकुरित पैक से नार्थ ईस्ट याद आया.नार्थ ईस्ट इंडिया के सभी राज्य घूमना ज़रूरी है जिन्हें सेवेन सिस्टर्स कहा जाता है,अगर आप वहाँ नहीं घूमे तो आपने भारत का एक बड़ा हिस्सा देखा ही नहीं.
नार्थ ईस्ट के अधिकांश इलाक़े आज़ादी के वक़्त अंग्रेज़ भारत को सौंपकर गए,वरना सम्राट अशोक के दौर से लेकर सम्राट औरंगज़ेब जैसे प्रतापी शासकों के दौर में भी ये अधिकांश इलाक़े भारत का हिस्सा नहीं थे.बहरहाल,हमने तो लगभग पूरा भारत घूमने के साथ-साथ सेवेन सिस्टर्स नामक इन राज्यों की भी ख़ूब ख़ाक छानी,सातों राज्य घूमे,वजह कि घूमना मेरा शौक़ रहा.इसी तरह एक बार नागालैंड पहुंचे तो नाश्ते के वक़्त पास की बाज़ार में गए,वहाँ अंगामी आदिवासियों का बसेरा था,दूसरे दूर-दूर तक नहीं थे,वहाँ की बाज़ार में कुछ खाने को दिख नहीं रहा था,बस हर जगह अंगामी नागा लोग बैठे हुए बांस के गिलासों में कुछ पी रहे थे,लगा कि यही उनका नाश्ता है,हमने देखा कि वो पीने के साथ-साथ कुछ खा भी रहे हैं,जब हमने दुकानदार से कुछ खाने योग्य मांगा तो उसने बताया कि खाने के लिए सिर्फ़ अंकुरित चावल हैं,हमने कहा कि वही दे दीजिए,अब उसने एक डिब्बा खोला और उसमें से मुट्ठी में भरकर चावल निकालने लगा,अंकुरित चावल थे,हमें डिब्बे में से तेज़ बदबू आती हुई महसूस हो रही थी,जैसे शराब महक रही हो,हमने पूछा कि ये कैसी महक है,तो उसने बताया कि ये ज़ूथो की महक है,ज़ूथो चावल की शराब है जिसे लोग आसपास बैठकर बांस के गिलासों में पी रहे हैं.हमने दुकानदार से पूछा कि इन चावलों में नशा तो नहीं है,तो दुकानदार ने बताया कि नशा पानी में उतर गया,पानी शराब बन गया,चावल बिल्कुल नशामुक्त है और पवित्र है,आपके लिए हम इन्हें धो भी देते हैं,उसने चावलों को धोया,अब उन्हीं अंकुरित चावलों को हमने नाश्ते के तौर पर लिया,थोड़े से चावल पैक भी करवा लिए जिन्हें अपने पाऊच पॉकेट में रख लिया.अंकुरित चावल प्रोटीन का अच्छा स्रोत नहीं है,ये बढ़िया स्रोत है जो तस्वीर में नज़र आ रहा है.
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