आलोक कुमार
पटना.बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र नालंदा है.उनका गृह गांव कल्याणबीघा है.गांवघर की एक बहन को महामारी कोरोना हो गया था.बिहार सरकार के द्वारा चयनित 90 अस्पतालों में सुपर पारस हॉस्पिटल में पीड़िता की बेटी ने मां को भर्ती करायी थीं.मां की बेटी ने कहा कि मेरी मम्मी के साथ 17 मई को दुर्व्यवहार हुआ था, तीन लोगों ने मिलकर मेरी मम्मी के साथ गलत काम किया गया.इलाज के लिए यहां लाया गया अस्पतालकर्मी हैवान बन गए. उसके बाद हॉस्पिटल ने काला कारनामा को दफन करने के उदे्श्य से मां को ही मार डाला.
इस संदर्भ में जाप का अध्यक्ष राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने पहले ही ट्वीट कर आकांक्षा व्यक्त किया था कि उस मां को पारस हॉस्पिटल में मार दिया जाएगा. जिसका 89 ऑक्सीजन लेवल था.लंग्स भी बहुत कम संक्रमित था.उनको वेंटिलेटर पर चढ़ाना.यह संकेत था रेप का महापाप छुपाने के लिए,उनकी जान ले ली जाएगी.सब पर 302 का मुकदमा हो.सरकार टेक ओवर करे.
उन्होंने कहा कि मैंने जो आशंका व्यक्त की थी वही हुआ.आपके गांव कल्याणबीघा की बहन थी. कोरोना पीड़ित का पतिदेव का निधन हो गया है.मां की बेटी ने हॉस्पिटल में बीमारी से मुक्ति दिलवाने के लिए लायी थी.उसके साथ पारस हॉस्पिटल में गैंगरेप हुआ.अगर आप सीएम उनको भी न्याय न दिला पाएंगे तो फिर आपके CM होने का मतलब क्या है?
बताया गया कि राजधानी के एक बड़े निजी अस्पताल के आईसीयू में कोरोना से जंग लड़ रही जिस महिला के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगा था, उस महिला की कोरोना से मौत हो गई. जिसके बाद मृतक महिला की बेटी ने अस्पताल प्रबंधन पर कई गंभीर आरोप लगाए. मां की मौत के बाद निजी अस्पताल के खिलाफ पीड़िता ने मामला दर्ज करवाया.
''पहले मेरी मम्मी के साथ 17 मई को दुर्व्यवहार हुआ था, तीन लोगों ने मिलकर मेरी मम्मी के साथ गलत काम किया. उस दिन के बाद से मम्मी की तबीयत खराब होने लगी. पहले मम्मी बिल्कुल ठीक थी. उसके बाद से उनकी तबीयत बिगड़ने लगी. जब से ऐसा हुआ मैंने अस्पताल के स्टाफ को बताया, तब इन्होंने बोला आपको साइन करना होगा नहीं तो इनकी हालत खराब हो जाएगी और उनको बेहोश कर दिया ताकि वो कुछ बोल ना पाए. उसके बाद आज उनकी मौत होने की बात बताई.
मृतक महिला की बेटी ने कहा कि हर दिन हमको फोन करके परेशान करते थे कि और बोलते थे कि फिजिकल असाल्ट का टेस्ट करेंगे, मैंने परमिशन नहीं दी फिर भी उनका इस क्रिटिकल कंडिशन में टेस्ट किया गया. अस्पताल पर मर्डर केस और सेक्सुअल असाल्ट का केस चलना चाहिए. मामले में एफआईआर दर्ज हो गया है.
मृतक महिला की बेटी ने अस्पताल प्रबंधन पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिसकी लिखित शिकायत पुलिस को की है. आरोपों की जांच करने के बाद ही आगे की कोई कार्रवाई अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ की जाएगी, हालांकि अस्पताल प्रबंधन पूरी तरह से अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करता नजर आ रहा है.यह कथन है एमएस खान, मजिस्ट्रेट का.
राजधानी के एक बड़े निजी अस्पताल के आईसीयू में कोरोना से जंग लड़ रही महिला के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाया गया था. महिला की बेटी के आरोप के बाद अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया. घटना की सूचना के बाद शास्त्रीनगर थाने की एक टीम अस्पताल पहुंची और महिला के परिजनों से पूछताछ की थी. इस बारे में महिला की बेटी का कहना था कि सोमवार को जब मैं अस्पताल पहुंची, तो मां ने इशारों में बताया कि उसके साथ रविवार की रात गलत काम हुआ है. रात में मेरे घर जाने के बाद आईसीयू में 3 से 4 लोग घुस गए और मेरी मां के साथ इस घिनौनी वारदात को अंजाम दिया.
अस्पताल प्रबंधन ने इस पूरे मामले को बेबुनियाद और झूठा बताया था. उनका कहना है कि महिला की बेटी ने आरोप लगाया है कि उनके साथ दुर्व्यवहार हुआ है. जिसके बाद हमने इंटरनल टीम बनाई और जांच में ऐसा कुछ पाया नहीं गया. पुलिस जांच भी जारी है, लेकिन प्रारंभिक जांच में ऐसा कुछ नहीं पाया गया है.
वहीं, राष्ट्रीय महिला आयोग ने महिला कोविड मरीज से कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म की घटना की समयबद्ध जांच की पैरवी की थी. राष्ट्रीय महिला आयोग की प्रमुख रेखा शर्मा ने बिहार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा कि वह इस मामले का संज्ञान लें और जिला पुलिस अधिकारियों एवं अस्पताल को उचित दिशा-निर्देश दें. आयोग ने एक बयान में कहा कि महामारी के दौरान अस्पतालों में महिलाओं के साथ हो रहे अपराध को लेकर वह चिंतित है.
रंजन कुमार यादव ने कहा कि पारस हॉस्पिटल में जाने का मतलब है कि आप धन, इज्ज़त और प्राण तीनों से हाथ धो बैठेंगे. इसलिए पारस हॉस्पिटल जाने से बचे.यहां जल्लाद लोग बैठे है.जो मंत्री रहते हुए श्याम रजक जी के साथ बदसलूकी कर चुका है और कोई उसका कुछ नहीं उखाड़ पाया है. इस हॉस्पिटल पर बहुत बड़े का हाथ है.
पारस हाॅस्पीटल में गैंगरेप का आरोप लगाने वाली पीड़िता की मौत की जांच हो: ऐपवा
ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने प्रेस बयान जारी करके कहा है कि 2 दिन पहले पटना के पारस हाॅस्पिटल से कोविड का इलाज करा रही एक महिला के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया था. आरोप उनकी बेटी द्वारा लगाया गया था. और आज उस महिला की मौत की खबर मिल रही है. जाहिर है कि यह कोई सामान्य मामला नहीं बल्कि पहली नजर में ही बेहद संदेहास्पद प्रतीत हो रहा है. इसलिए ऐपवा इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग करती है.
यह बेहद दुर्भायपूर्ण है कि जब आज पूरा मानव समाज कोविड के संक्रमण का तेज हमला झेल रहा है, लोग मर रहे हैं, वैसी भयावह स्थिति में भी महिलाओं के साथ लगातार बलात्कार व छेड़खानी के मामले सामने आ रहे हैं. अभी कुछ दिन पहले ही भागलपुर की एक महिला ने भी अस्पतालों के भीतर अपने साथ हुए दुव्र्यहार को लेकर सोशल मीडिया पर अपने आक्रोश का इजहार किया था. ऐसे दौर में लगातार घट रही ऐसी घटनायें बेहद चिंताजनक हैं.
ऐपवा मुख्यमंत्री से मांग करती है कि ऐसी घटनाओं पर नियंत्रण लगायें. और ऐसे अस्पताल प्रबंधकों पर भी कड़ा रूख अपनायें. यह भी कहा कि दरअसल, विगत कुछेक सालों में देश में भाजपाई शासन में जो माहौल बना है, उसी का नतीजा आज चारो तरफ दिख रहा है.
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