रवि भोई
असम में भले कांग्रेस की सरकार नहीं बन पाई , लेकिन वहां कांग्रेस को 29 सीटें मिलीं.2016 के मुकाबले तीन सीटें अधिक. बंगाल में कांग्रेस 44 से शून्य पर पहुँच गई, स्वाभाविक है ऐसे में असम में तीन सीटों की बढ़त मायने रखती है.इसका श्रेय निश्चित तौर से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जाता है, क्योंकि वे वहां के प्रभारी थे.यह बात भूपेश बघेल के विरोधी भी मानने लगे हैं. ऐसे में मानकर चला जाने लगा है कि यहाँ भूपेश बघेल के नेतृत्व में सरकार चलती रहेगी. चर्चा है कि बघेल विरोधी और विधायक नेतृत्व में स्थिरता देखने लगे हैं , लेकिन कुछ विधायक मंत्रिमंडल में परिवर्तन की बात करने लगे हैं. मंत्रिमंडल में बदलाव की बात करने वाले पुराने व नए दोनों विधायक शामिल हैं. कांग्रेस में कुछ ऐसे विधायक हैं, जो संयुक्त मंत्रिमंडल में मंत्री रह चुके हैं, वहीँ कुछ राज्य बंनने के बाद जोगी सरकार में मंत्री रहे. कहते हैं मंत्री पद के दावेदार कुछ विधायकों ने पार्टी के एक बड़े नेता के सामने मंत्रिमंडल में फेरबदल कर उन्हें मौका देने की बात रखी है. चर्चा है कि मंत्री के दावेदार विधायकों का तर्क है कि राज्य में 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार आई है तो उन्हें भी मौका मिलना चाहिए, जिससे वे अपनी योग्यता साबित कर सकें. वैसे कोरोनाकाल शुरू होने से पहले भूपेश मंत्रिमंडल में फेरबदल की खबरें उड़ीं थी.अब देखते हैं नई परिस्थिति में आगे क्या होता है ?
डॉ. आलोक शुक्ला के जिम्मे स्वास्थ्य
कोरोनाकाल में डॉ. आलोक शुक्ला को प्रमुख सचिव स्वास्थ्य की जिम्मेदारी देने के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के फैसले को लोग देर से लिया गया सही फैसला मान रहे हैं. संविदा पर कार्यरत 1986 बैच के आईएएस डॉ. आलोक शुक्ला सर्जन हैं और वे जोगी और रमन दोनों के शासनकाल में स्वास्थ्य सचिव रह चुके हैं. डॉ. आलोक शुक्ला स्वास्थ्य विषय पर लगातार लिखते भी रहते हैं. उन्होंने कोरोना पीड़ितों के इलाज में इस्तेमाल हो रहे रेमडेसिविर और दूसरे इंजेक्शन के बारे में अपने ब्लाग में लिखा भी था. वैश्विक महामारी के दौर में कई जिलों में डाक्टरों और प्रशासनिक अफसरों में खींचतान की खबरें सुनाई पड़ रही है , ऐसे में महामारी से निपटने के लिए अनुभवी और मेडिकल बैकग्राउंड वाले दूसरे अफसरों को जिम्मेदारी देकर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है.छत्तीसगढ़ कैडर में आधे दर्जन से अधिक आईएएस अफसर मेडिकल की डिग्री वाले हैं. एमबीबीएस डिग्री वाले सारांश मित्तर बिलासपुर और सर्वेश्वर भूरे दुर्ग के कलेक्टर हैं,तो डॉ. प्रियंका शुक्ला वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग में संयुक्त सचिव हैं. प्रमुख सचिव डॉ. मनिंदर कौर द्विवेदी और डॉ. कमलप्रीत सिंह भी एमबीबीएस (मेडिसिन)हैं. वर्तमान में हाउसिंग बोर्ड के आयुक्त अय्याज फकीर भाई तम्बोली और जगदीश सोनकर भी एमबीबीएस डिग्रीधारी आईएएस हैं. नीलेश क्षीरसागर बीएएमएस डिग्री वाले हैं.
रेणु पिल्लै का छुट्टी पर जाना
स्वास्थ्य विभाग की अपर मुख्य सचिव रहीं 1991 बैच की आईएएस रेणु पिल्लै लंबी छुट्टी पर गईं या सरकार ने जबरिया छुट्टी पर भेज दिया गया, चर्चा का विषय है. खबर है कि 18 से 45 वर्ष के लोगों के टीकाकरण के लिए सरकार की नीति से रेणु पिल्लै सहमत नहीं थीं.कहते हैं वे उसे केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश के उलट मानीं. चर्चा है कि रेणु पिल्लै के रुख को देखते हुए राज्य सरकार ने उन्हें छुट्टी पर जाने को कह दिया.सरकार ने अब रेणु पिल्लै को अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की जिम्मेदारी देकर उनका सम्मान बरक़रार रखा है. पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को बड़ा विभाग माना जाता है.उनके पास राज्य प्रशासनिक अकादमी के महानिदेशक का पद भी रहेगा.
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