होम आइसोलेटेड संविदाकर्मियों ने हड़ताल खत्म कर दी

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होम आइसोलेटेड संविदाकर्मियों ने हड़ताल खत्म कर दी

आलोक कुमार 
पटना.बिहार राज्य संविदा स्वास्थ्य कर्मी संघ के आह्वान पर बुधवार 12 मई से 27,000 संविदा स्वास्थ्य कर्मी होम आइसोलेशन पर चले गए.गुरूवार 13 मई को पटना हाईकोर्ट के निर्देश के बाद होम आइसोलेटेड संविदाकर्मियों ने हड़ताल खत्म कर दी गयी.  इस मामले में बताया गया कि पटना हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस संजय करोल की  खंडपीठ ने सुनवाई की. मामले में अगली सुनवाई 23 जून को होगी. 
हाईकोर्ट के नोटिस के बाद बिहार राज्य संविदा स्वास्थ्य कर्मी संघ ने हड़ताल खत्म कर दिया.कोरोना मामले पर पटना हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की.राज्य सरकार ने इनकी मांगों को विचार कर निर्णय लेने का आश्वासन दिया है.इस मामले पर अगली सुनवाई 23 जून को होगी. 

बता दें कि स्वास्थ्य कर्मियों की 9 सूत्री मांग सरकार के पास काफी दिनों से लंबित थी. स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा मानदेय का पुनर्निरीक्षण कर शत प्रतिशत बढ़ोतरी करने, कोविड संक्रमण में कार्य कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों का 50 लाख रूपये का बीमा सुविधा उपलब्ध कराने, दिवंगत के आश्रितों को तत्काल संबंधित राशि उपलब्ध कराने, कोविड से मृत्यु होने पर आश्रित को पारिवारिक पेंशन, नौकरी व अन्य सुविधा उपलब्ध कराने, ग्रुप एक्सिडेंट, मेडिकल हेल्थ पाॅलिसी लागू करने, बिना किसी प्रमाणिक कारण के सेवा से हटाने की परंपरा पर रोक लगाने, एनएचएम के अधीन कार्यरत सभी संविदाकर्मी पदाधिकारी को उनके पद के अनुसार सेवा शर्त निर्धारण के पारित आदेश का अविलंब अनुपालन करने की मांग शामिल है. 

कोरोना संक्रमण के साये में बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था पर काफी दबाव है. इसी बीच बिहार में 27, 000 से ज्यादा संविदा स्वास्थ्यकर्मी होम आइसोलेशन में चले गए हैं. ऐसे में सरकार के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है. उनके हड़ताल पर जाने से स्वास्थ्य व्यवस्था पर व्यापक असर पड़ा है. वहीं आज स्वास्थ्य विभाग ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए हड़ताल पर जाने वाले संविदा स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए थे. 

हड़ताल पर जाने वाले संविदा स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ सरकार ने सख्त रवैया अपनाया. राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यकारी निदेशक मनोज कुमार ने हड़ताली संविदा कर्मियों के साथ सख्ती से निपटने का फैसला लिया था. मनोज कुमार ने पत्र जारी कर कहा कि जो संविदा स्वास्थ्यकर्मी हड़ताल से नहीं लौटेंगे, उनके खिलाफ आपदा कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी और उन्हें सेवा से भी हटा जाएगा. स्वास्थ्य मंत्री ने काम पर लौटने का अनुरोध किया 
हालांकि इससे पहले स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने हड़ताली संविदा कर्मियों से काम पर लौटने का अनुरोध किया था. लेकिन संविदा कर्मियों ने उसे अनसुना कर दिया और मजबूरी में सरकार को सख्त कदम उठाने पड़े. सरकार 48 संविदा कर्मियों से सख्ती से निपटने को लेकर तैयार है. जिलों के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को कार्यवाही के लिए निर्देश भी दे दिए गए हैं.  


पहले दिन हड़ताल का कैसा रहा असर?  

राज्य संविदा स्वास्थ्य कर्मी संघ के सचिव ललन कुमार ने बताया कि पहले दिन संविदा कर्मियों में उलझन की स्थिति आ गई. काफी लोगों को यह भ्रम हो गया कि हड़ताल 12 मई के बाद यानी कि 13 मई से है जबकि हड़ताल 12 मई से ही था. ऐसे में हड़ताल का व्यापक असर गुरुवार से देखने को मिलेगा. पहले दिन से डाटा एंट्री ऑपरेटर कार्य ठप रखे हुए हैं. डाटा एंट्री ऑपरेटर द्वारा कार्य ठप रखे जाने के कारण बुधवार के दिन पोर्टल पर वैक्सीनेशन और जांच कार्य का डाटा अपलोड नहीं हुआ. ऐसे में इसका असर गुरुवार के दिन आने वाली जांच रिपोर्ट में देखने को मिलेगा. उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ विभाग की तरफ से उन लोगों की हड़ताल खत्म कराने के लिए बातचीत का कोई प्रयास नहीं किया गया है. उनकी प्रमुख मांग है कि अस्थाई कर्मचारियों की तर्ज पर उन्हें भी जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा जैसी योजना का लाभ दिया जाए. 
 

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