हिसाम सिद्दीकी
नई दिल्ली! कोविड के कोहराम से परेशान भारत को वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी की लापरवाइयों और गैर जरूरी ‘सेण्ट्रल विस्टा’ प्रोजेक्ट ने सिर्फ देश में ही नहीं पूरी दुनिया में बदनाम कराया है. सरकार इस बदनामी से देश को बचाने में कुछ नहीं कर सकी. फारेन मिनिस्टर एस जयशंकर ने पूरी दुनिया खुसूसन पच्छिमी मुल्कों में तैनात अपने सफीरों (राजदूतों) को हिदायत दी कि वह आधी अधूरी इत्तेआत पर पच्छिमी दुनिया के मुल्कों में शाया हो रही और टेलीकास्ट हो रही खबरों को बंद कराने की कोशिश करें. एस जयशंकर भूल गए कि अपने मुल्क की तरह दुनिया के किसी मुल्क में मीडिया सरकार का गुलाम नहीं है जो सफीरों के कहने पर खबरें शाया और टेलीकास्ट करना बंद कर देंगे. अमरीका जैसे मुल्क के सहाफी तो अपने सदर की प्रेस कांफ्रेंस में ही सदर के खिलाफ बोल देते हैं. अमरीका के सीएनएन इण्टरनेशनल ने खबर शाया कर दी कि भारत के वजीर-ए-आजम मोदी ने कोविड की दूसरी लहर से अपने मुल्क और लोगों को बचाने के लिए कुछ किया ही नहीं वह सेण्ट्रल विस्टा जैसे गैर जरूरी प्रोजेक्ट और पांच रियासतों के असम्बली चुनावों को ही तरजीह देते रहे. इंतहा यह कि आक्सीजन तक का इंतजाम नहीं कर सके या इंतजाम किया नहीं. डेली मेल पच्छिमी दुनिया का बहुत बड़ा और मशहूर अखबार है. इस अखबार ने वजीर-ए-आजम मोदी को इंतेहाई मगरूर करार देते हुए लिखा कि वह ऐसे शख्स हैं जो खुद को ही सबसे ज्यादा काबिल और मगरूर समझते हैं. पूरा भारत कोरोना से कराह रहा है लेकिन मोदी सेण्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में अपना नया मकान बनवाने में मसरूफ हैं. जितना पैसा लगार कर वह सेण्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पूरा कराने में लगे हैं उतने पैसों में चालीस बड़े अस्पताल बनाए जा सकते थे. मुल्क भर में आक्सीजन और अस्पतालों में बिस्तरों की कमी की वजह से लोग मर रहे हैं और मोदी अपने लिए नया आलीशान मकान बनवा रहे हैं. वह ऐसे शख्स हैं जो अपने अलावा किसी को कुछ समझते ही नहीं हैं.
इन खबरों से कोई एक हफ्ता कब्ल अमरीका के एक बड़े और मशहूर अखबार न्यूयार्क टाइम्स ने भारत के श्मशानों की एक दिल दहलाने वाली तस्वीर के साथ अपने पहले पेज पर खबर शाया की थी कि भारत में कितनी बड़ी तादाद में लोग कोविड का शिकार हो कर मौत के मुंह में जा रहे हैं कि श्मशान में मुर्दे जलाना भी बहुत मुश्किल हो गया है. न्यूयार्क टाइम्स की उस खबर और तस्वीर को अमरीका से अमरीका से भारत तक और दुनिया के कई मुल्कों तक लाखों लोगों ने सोशल मीडिया पर वायरल कर दी थी. खबर में लिखा गया कि भारत सरकार अपने शहरियों को कोविड से बचाने में तो नाकाम हो ही गई है मुर्दे जलाने तक का इंतजाम नहीं कर पा रही है. इस तरह की सख्त और भारत की तस्वीर खराब करने वाली खबरें दुनिया के मीडिया में भरी पड़ी हैं लेकिन मोदी और अमित शाह की उस दिल्ली पुलिस पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है जिस पुलिस ने महज एक ट्वीट की वजह से बंगलौर की इक्कीस साल की एक्टिविस्ट दिशा रवि को यह कह कर बंगलौर से उठा कर तिहाड़ जेल तक पहुंचा दिया था और कहा था कि दिशा रवि ने देश की तस्वीर खराब की है उस वक्त पुलिस इतनी उतावली हो गई थी कि एक विदेशा एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग तक को उस मुकदमे में मुल्जिम बना दिया था.
आज पूरी दुनिया में देश को कौन बदनाम कर रहा है और किस की वजह से पूरी दुनिया में एक सौ उनतालीस करोड़ के अजीम (महान) मुल्क की नाक कट रही है? सेण्ट्रल विस्टा और नए पार्लियामेंट हाउस की आखिर देश को क्या जरूरत है इसका जवाब किसी के पास नहीं है. पार्लियामेंट हाउस की मौजूदा इमारत न तो खस्ता हाल है न गिरने वाली कमजोर है. इसके बावजूद ऐसा लगता है कि मोदी की सनक ने देश पर इतना बड़ा बोझ डाल दिया डेली मेल ने सही लिखा है कि मोदी उन लोगों में से हैं जो अपने अलावा किसी दूसरे को अक्लमंद नहीं समझते हालांकि खुद चूंकि नाख्वांदा (अनपढ) हैं इसलिए उनकी सोच भी सतही है खुद कुछ जानते नहीं और गुरूर में डूबे होने की वजह से किसी दूसरे से मश्विरा तक नही करते हैं.
अभी तक जो प्राइम मिनिस्टर्स हाउस है सेविन रेस कोर्स रोड वह रेस कोर्स के सात-आठ आलीशान बंगले तोड़ कर या एक में मिलाकर तैयार किया गया है. उसमें कोई खराबी नहीं है इसके बावजूद प्राइम मिनिस्टर सेण्ट्रल विस्टा में प्राइम मिनिस्टर के आलीशान बंगले के साथ-साथ नायब सदर जम्हूरिया (उप-राष्ट्रपति) के लिए भी उम्दा किस्म का मकान बनवा रहे हैं. क्या सेण्ट्रल विस्टा में उपराष्ट्रपति का मकान बनवाने के बजाए रेस कोर्स रोड का मकान उन्हें नहीं दिया जा सकता है? पूरे देश में कोविड प्रोटोकाल के ड्रामे की वजह से आम लोगों और गरीबों पर जुर्माना तक लगाया जा रहा है. जबकि सेण्ट्रल विस्टा की तामीर में सैकड़ों मजदूर एक साथ काम कर रहे हैं न मास्क न फिजिकल डिस्टेंसिंग उसकी फिक्र सरकार में बैठे ढोंगियों को बिलकुल नहीं है.
सेण्ट्रल विस्टा की कोई जरूरत नहीं थी लेकिन नरेन्द्र मोदी के अंदर खुदनुमाई का जो मरज है उसकी वजह से यह तामीर हो रही है. उनका ख्याल है कि अभी तक तो दिल्ली मुगलों और अंग्रेजों की बनाई इमारतों की वजह से जानी जाती है मैं भी कुछ ऐसा कर जाऊं कि मुगलों और अंग्रेजों की बनाई दिल्ली में मेरा यानी मोदी का नाम भी शामिल हो जाए. वह अपने नाम के लिए गरीबी झेल रहे मुल्क के खजाने को पानी की तरह बहा रहे हैं. जदीद मरकज
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