गैर सरकारी संस्थाओं में मातम छा गया

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गैर सरकारी संस्थाओं में मातम छा गया

पटना.बिहार के जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता व  इंस्टीट्यूट फॉर पार्टिसिपेटरी( प्रैक्सिस) के कार्यक्रम प्रमुख अनिन्दो बनर्जी कोरोना से पराजित हो गये.  रूबन मेमोरियल हॉस्पिटल के आईसीयू में अंतिम सांस ली.इनके निधन की खबर प्रसार होते ही गैर सरकारी संस्थाओं में मातम छा गया.बिहार के वरिष्ठ साथी अनिन्दो दा का इस तरह जाना गैरवाजिब लगा. 

गैर सरकारी संस्थाओं के कर्ताधर्ताओं ने कहना शुरू कर दिये कि कहीं हम सब परिवर्तन और सम्पूर्ण बदलाव की लड़ाई में कमजोर तो नहीं पड़ रहें हैं.अब भी समय है आप संघर्ष के साथी एकजुट होकर, हमारे लिए जीवन संकट का विकल्प तलाशने में सहयोगी बनें, तभी सरकार जनित इस महामारी का अंत हो पाएगा और हम अपनें साथियों को इस तरह जिंदगी की जंग हारने नहीं देंगे. 

पुष्यमित्रा ने कहा कि शुरू में अनिंदो बनर्जी सर को 
पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉमप्लेक्स में भर्ती कराए गये थे.यहां पर इलाज के दौरान अनिंदो बनर्जी सर के टेस्ट में cytokine storm आया. इसके लिये डॉक्टर ने Tocilizumab दवा की मांग की थी.पूरे बिहार में यह दवा केवल पटना CS की अनुशंसा पर ही दी जाती है. डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के साथ वहाँ सम्पर्क किया गया. 

इसके बाद  अनिंदो सर को रूबन मेमोरियल हॉस्पिटल पटना में शिफ्ट कराया गया.अब यहां के हिसाब से उनका इलाज होने लगा.एचसीयू में शरीर में SpO2 लेवल 85 नीचे आ गया. 94 से 100 के बीच में है तो इसका मतलब है कि रोगी हेल्दी है मगर अगर रीडिंग 94 से नीचे है तो यह हाइपोक्सेमिया की समस्या का रूप ले सकता है.इसके आलोक में एचसीयू से आईसीयू में शिफ्ट करा दिया गया.जो जीर्वित रखने में नाकामयाब रहा. 

इन दिनों भारत कोरोना की दूसरी लहर को झेल रहा है. रोज़ लाखों की संख्या में कोरोना के नए मामले सामने आ रहे है. देश में आक्सीजन की भारी कमी है जिससे कई लोगों की जान जा रही है. कोविड-19 (Covid-19) फेफड़ों पर असर डालता है जिसके कारण गंभीर मामलों में शरीर में ऑक्सीजन लेबल गिर जाता है. मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण देश में ऑक्सीजन सिलेंडर की भारी कमी देखी जा रही है. कई मरीजों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है जिससे उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती  कराने की जरूरत पड़ रही है. 

आज कल सबसे ज्यादा एक शब्द का इस्तेमाल होता है वो है ऑक्सीजन सैचुरेशन. फेफड़े हमारे शरीर में ऑक्सीजन लेकर खून में ऑक्सिजनेटेड हीमोग्लोबिन बनाते है. जब शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है तब ऑक्सिजनेटेड हीमोग्लोबिन भी कम हो जाता है. अगर आपके शरीर में ऑक्सीजन की रीडिंग 94 से ऊपर रहे तो उसे हेल्दी माना जाता है. कई बार कोविड-19 की गंभीर अवस्था में ऑक्सीजन की मात्रा 94 से नीचे आ जाती है जिसकी वजह से शरीर में ऑक्सिजनेटेड खून की सप्लाई में प्रभाव पड़ रहा है. 

इंस्टीट्यूट फॉर पार्टिसिपेटरी( प्रैक्सिस) के कार्यक्रम प्रमुख अनिन्दो बनर्जी 1997 से कार्यशील थे.वर्तमान 24 वर्ष में प्रैक्सिस के द्वारा बिहार के कुछ जिलों में लैंड मैंपिंग करवाने में सफल हुए थे. 
 

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