एम्स पटना में चार और आईजीआइएमएस में एक ब्लैक फंगस

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एम्स पटना में चार और आईजीआइएमएस में एक ब्लैक फंगस

आलोक कुमार  
पटना.देश में कोरोना संकट के बीच अब ब्लैक फंगस भी धीरे-धीरे पैर पसार रहा है.दिल्ली, यूपी, झारखंड के बाद अब बिहार में ब्लैक फंगस ( Black Fungus ) या म्यूकोरमायकोसिस ( Mucormycosis ) ने दस्तक दे दी है. बुधवार को ब्लैक फंगस से संक्रमित पांच मरीज मिले.मरीजों का एम्स पटना और आईजीआइएमएस में इलाज किया गया. 

डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना के बढ़ते मरीजों के बीच प्रदेश में अब ब्लैक फंगस के भी मरीज सामने आने लगे हैं. उन्होंने बताया कि इस संक्रमण की वजह कोरोना वायरस से छुटकारा पाने के लिए स्टेरॉयड बिना डॉक्टर की सलाह के लेना या अधिक डोज लेने के कारण हो रहा है. 

कोरोना काल के बीच ब्लैंक फंगस का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है. देश के कई राज्यों में अब तक ब्लैक फंगस के कई मरीज सामने आ चुके हैं.वहीं बिहार की राजधानी पटना में भी बुधवार को पांच मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है. 

पटना एम्स के कोविड-19 के नोडल पदाधिकारी डॉ संजीव कुमार के मुताबिक इस बीमारी से संक्रमित दो मरीज भर्ती हैं, जबकि दो लोगों को ओपीडी में देखा गया है. 

डॉ. कुमार की मानें तो ब्लैक फंगस होने के पीछे सबसे बड़ी वजह जो सामने आ रही है वो है कोरोना वायरस से निपटने के लिए लगाया जाने वाला स्टेरॉयड. इसकी अधिक मात्रा या डोज रोगी में इम्यूनिटी कमजोर कर देता है.इसी दौरान ब्लैक फंगस अटैक करता है. 

इसका सबसे ज्यादा खतरा डायबिटीजी के मरीजों में देखने को मिल रहा है.डॉ. कुमार के मुताबिक ऐसे मरीजों को इंडोस्कॉपी से ही जांच की जा सकती है, जिससे मरीज में काला धब्बा दिखता है. लक्षण महसूस होने पर फौरन डॉक्टर से संपर्क करें.समय पर इलाज से एंटीफंगल दवाओं से हो सकते हैं ठीक.गंभीर स्थिति में प्रभावित मृत टिशू को हटाने के लिए करनी पड़ सकती है सर्जरी.बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न खाएं. 

आईजीआइएमएस में भर्ती एक मरीज में ब्लैक फंगस मिला है.वह मुजफ्फरपुर की रहने वाली है.इस तरह कुल पांच मरीज अब तक ब्लैक फंगस के सामने आ चुके हैं. संस्थान के अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने कहा कि इस बीमारी के होने के बाद मरीज पूरी तरह से सांस नहीं ले पाता है. यह बीमारी खतरनाक है, लेकिन मुजफ्फरपुर से आई इस महिला का इलाज किया जा रहा रहे है और उसकी स्थिति में सुधार भी हो रहा है. जानलेवा संक्रमण ब्लैक फंगस का वैज्ञानिक नाम ‘म्यूकोरमाइकोसिस’ है. इस बीमारी के चलते लोगों की आंखों की रोशनी जा रही है और कुछ मामलों में मौत तक हो जा रही है. ये बीमारी जानलेवा है लेकिन इसका इलाज संभव है. 


यह फंगस आम लोगों के भी साइनस में रहता है. लेकिन सामान्यतः शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता के चलते कोई असर नहीं होता. इस वक्त यह फंगस इसलिए खतरनाक होता जा रहा है. क्योंकि कोरोना से जूझ रहे गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए चिकित्सक हाई डोज स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके कारण शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा तेजी से बढ़ती है. कोई व्यक्ति डायबिटीज से जूझ रहा है तो ब्लैक फंगस तेजी से बढ़ता है. यह फंगस साइनस, फेफड़ें आंख और फिर दिमाग तक पहुंच जाता है. 


इस बीमारी की शुरूआत नाक से होती है. इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, खूनी उल्टी और बदली हुई मानसिक स्थिति के साथ आंखों या नाक के आसपास दर्द होने लगता है. इसके साथ ही स्किन पर ये इंफेक्शन होने से फुंसी या छाले पड़ सकते हैं और इंफेक्शन वाली जगह काली पड़ सकती है. हालांकि, हर बार नाक ब्लॉक होने की वजह ब्लैक फंगस ही हो ये भी जरूरी नहीं है, इसलिए इसे लेकर लापरवाही ना बरतें. 

लक्षण महसूस होने पर फौरन डॉक्टर से संपर्क करें.समय पर इलाज से एंटीफंगल दवाओं से हो सकते हैं ठीक.गंभीर स्थिति में प्रभावित मृत टिशू को हटाने के लिए करनी पड़ सकती है सर्जरी.बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न खाएं.

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