उत्तराखंड के गाँवों को बचाने के लिए आगे आइये

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उत्तराखंड के गाँवों को बचाने के लिए आगे आइये

शिवानी पांडे  
यहाँ पहाड़ों में इन दिनों एक वायरल बुखार फैला है, बहुत से गाँव इस से पीड़ित है. लोग बुखार, खाँसी, जुखाम के लक्षणों से जूझ रहे है, चूँकि टेस्टिंग नहीं हो रही है तो नहीं मालूम कि ये कोरोना ही है या सामान्य बुखार.  बुखार से लोग मर रहे है और गाँव के लोग अपनी बातचीत में कह रहे है अटैक आ गया इस लिए फलाने की मृत्यु हो गयी. और चूँकि उनके अनुसार मृत्यु अटैक आने से हुई है तो अंतिम संस्कार में भी कोई परहेज उस तरह का नही हो रहा है जिस तरह किया जाना चाहिए. 
एक गाँव में कोविड टेस्ट हुआ भी, तो वहाँ 8 दिन बाद रिपोर्ट आई. स्वास्थ्य विभाग की आँखे तब खुली जब देखा कि उस गाँव मे 41 लोग कोविड पॉजिटिव आ गए है. अब सोचिए कि उन 8 दिनों में इन 41 लोगों से कितने और लोगों को फैल गया होगा?  

गाँव मे लोगों में जानकारी की इतनी कमी है या यूँ कहे कि मीडिया और मोदी जी का जादू कि लोग अभी भी कोरोना को बिमारी मानने से इनकार कर रहे है. उनको लगता है कि कोरोना अगर है तो मोदी जी को इतनी रैलियों के बाद भी क्यों नही हुआ?  
इस पर आप कुछ भी तर्क दे दीजिए उनके पास अपने तर्क है.  
पहाड़ों में ऐसे बहुत से गाँव है जहाँ नेटवर्क नही है, जहाँ सड़के नहीं पहुँची है. और अस्पताल तो खैर पहाड़ों में कही भी नहीं है या नर्स और फार्मेसिस्ट के भरोसे चल रहे है.  
शहरों में थोड़ा बहुत मदद पहुँच जा रही है जैसे भी हो लेकिन कल्पना कीजिये गाँव मे किसी को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जाय तो कैसे पहुँचेगी? पहले गाड़ी का रास्ता और फिर 4-5 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई. क्या इतने देर मरीज इंतज़ार कर सकता है?  

नहीं मालूम कैसे स्थितियाँ ठीक होंगी? लेकिन 2-3 दिन में ही खतरनाक हालात की तश्वीरें हमारे सामने आने वाली है. जहाँ से किसी के बस में नही होगा कुछ भी. टेस्टिंग सरकार कर नही रही है जिस तेजी से करना चाहिए और न उनकी रिपोर्ट उतनी जल्दी आ रही है. टेस्टिंग और रिपोर्ट आने की प्रक्रिया में शहरों के मुकाबले ज्यादा तेजी पहाड़ो के गाँवों में लानी होगी. वरना एक को हुआ और पूरा गाँव उसकी चपेट में आ जायेगा.  

   टेस्टिंग के साथ स्थानीय शासन की संस्थाओं को विश्वास में ले कर इस स्थिति से बचा जा सकता है. जो कि शहरों में नही हो सकता था लेकिन गाँव का प्रधान, क्षेत्र पंचायत के सदस्य काम कर सकते हैं. उनके हाथ मे संसाधन देने की जरूरत है बिना समय गवाएं.जल्दी ये काम करने की जरूरत है, वरना सब कुछ हाथ से फिसल जाएगा.फेसबुक वाल से  
 

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