देखिये, केरल में लेफ्ट लौट रहा है

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देखिये, केरल में लेफ्ट लौट रहा है

रति सक्सेना 
यूं तो आज की स्थिति में चुनाव चर्चा भी अश्लील मानी जा सकती है. मानी भी जानी चाहिये, लेकिन मैं केरल से एक ऐसा सन्दर्भ ले कर आ रही हूं, जो केवल मेरी स्टडी है. देखिये केरल में लेफ्ट वापिस आ रही है, नहीं जिनाब, विजयन और शैलजा वापिस आ रही हैं. वह इसलिए कि जैसे ही केरल में लाकडाउन शुरु हुआ विजयन के नेतृत्व में ऐसे निर्णय लिए गये जो अपूर्व थे. 
आप कहेंगे कि इसमें खास क्या है?  
जी खास है, क्यों कि केरल  दो बाढ़ आपदाओं से निकला है. धन के अभाव की स्थिति होती है, लेकिन कम लोग जानते हैं कि केरलीय अपने प्रदेश को दान भी खूब देते हैं.  
सबसे बड़ी बात थी कि पूरे कोविद काल में विजयन खुद आकर पत्रकारों से ब्रीफिंग करते थे. कभी भी आरोपण का जवाब नहीं देते, शान्त अडिग शब्दों में सही ब्यौरा, कोई नाटक बाजी नहीं. इस बार फिर उन्होंने यह कार्यक्रम आरम्भ कर दिया.  साथ ही उन्होंने जो काम कर रहा था, उसे फ्रीडम दी, बाकी शक्ति अपने पास रखी. उन्होंने लेफ्ट की ब्रिगेडर टीम आरम्भ की , जो घर- घर जाकर सहायता करते थे, शैलजा टीचर के सहायक केन्द्र के नम्बर अभी भी काम करते हैं, मैंने खुद कुछ दिन पहले फोन किया था.  
जो नुक्सान मन्दिर मस्जिद की राजनीति से बीजेपी ने करवाया था, विजयन दीवार से अडिग  खड़े रहे.. बाद में केरल में धार्मिक अनुष्ठानों के लिए उनकी कमेटी बनवा दी, जिसमें विरोधी पार्टी के अधिक रहे. निसन्देह जब सरकार विरोध ही नहीं कर रही तो विरोधियों को भी ध्यान रखना पड़ा, जैसे कि अनेक चर्चाओं के बाद पूरम उत्सव हुआ, लेकिन सरकार नियमों के अनुसार, यहां विरोधी पार्टी भी हक्की बक्की थी, कि विरोध किसका करें. लेकिन ऐतिहायत से, क्यों कि जवाबदेही उनकी बनती है.  
चुनाव की रणनीति 
केरल में वोटर परम्परा गत होते हैं, हर परिवार जन्मजात पार्टी वर्कर होता है, लेकिन विजयन नें इस बार महिलाओं को स्वतन्त्र निर्णय लेने को बाधित किया. वे   हर राशन कार्ड को 18 समाग्रियों का बैग मुफ्त देते रहे, जी हां हमे भी मिला, जिसे मैंने मेरी सहायिका जी को दे दिया था, इसमें चाय पत्ती से लेकर गुड़, रवा, दाल चावल सब कुछ था. हर कामगार के बैंक में हजार रुपये मासिक पहुंच गये. 
जिस वक्त महिलाओं के मर्द घर में बैठे उपद्रव कर रहे थे, उनका चूल्हा जल रहा था, और कामगार महिलाएँ घरों में काम भी कर रही थीं. लाकडाउन में भी घर सहायिकाओं को निकालना जरूरी नहीं हुआ था, और आप नहीं चाहते हैं तो सवेतन छुट्टी दें. मैंने अपनी सहायिका जी को सात महिने बिना काम के वेतन दिया था. मुझे कोई खेद ही नहीं, क्यों कि केरल में रह कर हम सब की मानसिकता ही कामगार सहयोगी बन गई है.  
यह मानसिकता है, ध्यान रखिये, बनानी पड़ती है.  
अब कान्ग्रेस की गलती क्या हुई, वह यह कि कान्ग्रेस बी जे पी के साथ खड़ी दिखाई देने लगी, गोल्ड काण्ड में घमासान हड़ताल करना, प्रदर्शन करना, इससे केरल की जाथा प्रेमी जनता भी नाराज हो गई, भई, क्यों करोना फैला रहे हो, कान्ग्रेस मन्दिर के मामले में भी बी जे पी के साथ खड़ी दिखाई दी, और लगातार प्रदर्शन करती रही, वह इस भुलावे में रही कि केरल तो जाथा प्रेमी है, इन हड़तालों, प्रदर्शनों से खुश हो जायेगा. इस तरह एक अच्छी आवाज पश्चातल में चली गई, क्यों कि लोग समझने लगे कि करोना क्या है. यदि कांग्रेस सरकार में होती तो निश्चय, वह भी अच्छा काम करती, जैसा कि उसका स्वभाव है, लेकिन इस वक्त वह भटकावे में आ गई. मछुआरों ने सेल्फी तो राहुल के साथ ली, वोट राशन वाले को दिया.  
केरल में लाकडाउन पूरा बहुत कम समय के लिए था, लाकडाउन समय में भी मछली बिकती थी, और सहायता केन्द्र काम कर रहे थे. दूध साग घर घर पहुंचाने के लिए A M नामक सरकार सहयोगी संस्था अच्छा काम कर रही है़ कारुण्य और सेवा और कुटुम्ब श्री ने बाजार अपने हाथ में ले लिया, छोटी- छोटी दूकाने शुरु हुई, जिसके लिए सरकार ने फण्ड दिया, जो केवल महिलाओं द्वारा चलाई जाती है, यहां राशन कार्ड भी महिलाओं के नाम हैं, क्यों कि मर्द लोग राशन बेच कर शराब पी लेते थे, तो नारी शक्ति बढ़ी ही.  
सबसे बड़ी बात मैं यह कहूंगी कि विजयन अपने काम के अलावा विरोधियों पर हमले नहीं करते, उनके हमलों का जवाब भी नहीं देते, और कांन्ग्रेस लैफ्ट की आम आदत के रूप में चल रही थी. लैफ्ट की आदत है, वह आक्रमण करता है, लेकिन इस बार विजयन के प्रभाव से किसी मन्त्री ने उलटा सीधा नहीं कहा.  
विजयन ने युवाओं को पार्टी में ऊंचे ओहदे दिये. ये सब पढ़े लिखे हैं, इसलिए एक नवीन शिक्षित वर्ग को आकर्षित किया. इनमें भी संख्या महिलाओं की अधिक है.  
जैसे कि त्रिवेन्द्रम की मेयर एक छात्रा है, हां यह जरूर है कि वह पीढ़ियों से लैफ्ट दर्शन की है.  
लेकिन इस वक्त कान्ग्रेस सरकार की मदद कर रही है, कान्ग्रेसी नेता जैसे कि करुणाकरण का परिवार आदि भी खुल कर दान दे रहे हैं, लेकिन बीजेपी के केन्द्र मन्त्री पोस्ट लिख रहे हैं कि यह धन मन्त्रियों के खाते में जायेगा. विजयन से जब यह पूछा गया तो उन्होंने हंस कर कहा इस पर मैं क्या कह सकता हूं, जिसके जैसे विचार.  
मेरे ख्याल से कान्गरेस को अपनी सहायक सेवा समिति बनानी चाहिये, घर- घर जाकर लोगो की मदद करनी चाहिये , गांधीवाद की याद करना चाहिये, बेकार नक्ल नहीं करनी चाहिये.  
बीजेपी के लिए क्या कहा जाये, मन्दिर को लेकर कितना चलोगे, हां अभियन्ता जी जीत जायेंगे क्यों कि वे पालघाट के उस भाग से खड़े हैं, जो तमिल ब्राह्मण मन्दिर सेवी समाज है, वह तो चरण सेवा करेगा ही, लेकिन सर जी को सरकार बनाने का सपना छोड़ना ही पड़ेगा. सार इतना, राजनेताओं प्रत्यारोपण  मत करों, सिर्फ काम करों, काम जनता के पास पहुंचता है, चाहे देर से ही,  
फिर देखिये कि आप इतिहास बदल सकते हैं. 

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