एलएस हरदेनिया
जब देश के अन्य राज्यों में आक्सीजन, दवाईयों, एम्बूलेंसों व अस्पतालों के बिस्तरों के लिए हाहाकार मचा हुआ है, ऐसे समय में दो राज्य ऐसे हैं जहां ऐसे दृश्य देखने को नहीं मिलते. ये राज्य हैं - तमिलनाडु और केरल. इन दोनों राज्यों ने कोविड-19 की पहली लहर से बहुत कुछ सीखा और कोरोना के दूसरे हमले का मुकाबला करने के लिए भरपूर तैयारी की. वैसे इन दोनों राज्यों में स्वास्थ्य की अधोसंरचना पहले से ही काफी अच्छी थी.
वृहत्तर चैन्नई नगर निगम के आयुक्त जी. प्रकाश के अनुसार किसी भी व्यक्ति को कोरोना के थोड़े भी लक्षण दिखाई देने पर उसे सीधे अस्पताल से संपर्क नहीं करना पड़ता. वह हमसे संपर्क करता है. फिर हम उसे सर्वप्रथम स्क्रीनिंग सेंटर भेजते हैं. स्क्रीनिंग सेंटर में की गई जांच के नतीजे के अनुसार उसे अस्पताल भेजा जाता है. इस प्रक्रिया का पालन किए जाने के कारण मरीज के परिजनों को अस्पताल में जगह पाने के लिए भागदौड़ नहीं करनी पड़ती. यह व्यवस्था सिर्फ चैन्नई में नहीं बल्कि राज्य के सभी जिलों में है. आयुक्त ने यह भी बताया कि हमने आक्सीजन, आवश्यक दवाईयों आदि की यथेष्ट व्यवस्था कर रखी है और हम उन्हें रोगी को तुरंत उपलब्ध करा देते हैं.
इसी तरह केरल में संक्रमित रोगी को सीधे डॉक्टरों से परामर्श लेने की व्यवस्था की गई है. थोड़े ही लक्षण दिखने पर संबंधित रोगी डॉक्टर से संपर्क कर परामर्श करता है और उसके अनुसार अगला कदम उठाता है. ये सारी व्यवस्थाएं निःशुल्क हैं. वहां यह व्यवस्था भी की गई है कि यदि पीड़ित के किसी अस्पताल में पहुंचने पर वहां जगह उपलब्ध नहीं होती तो यह उस अस्पताल की जिम्मेदारी होती है कि वह खोजबीन कर उसे उस निकटतम अस्पताल में पहुंचाए और उसके इलाज की व्यवस्था करवाए जहां स्थान उपलब्ध हो.
इस व्यवस्था के कारण रोगी और उसके रिश्तेदारों को स्वयं भागदौड़ नहीं करनी पड़ती. इससे न केवल जल्दी से जल्दी मरीज का उपचार प्रारंभ हो जाता है बल्कि साथ ही उसे अस्पताल लूट नहीं पाते जैसी शिकायतें अन्य राज्यों से आ रही हैं. चूंकि मरीज का प्रारंभिक उपचार द्रुतगति से हो जाता है इसलिए अधिकांश मामलों में रोग गंभीर रूप नहीं लेता और रोगी शीघ्र स्वस्थ होकर घर चला जाता है.
इन सब जिम्मेदारियों को शीघ्रता से निभाने के लिए केरल में केन्द्रीयकृत कंट्रोल सेंटर खोला गया है जहां अनेक टेलीफोन उपलब्ध कराए गए हैं और जो 24 घंटे कार्य करता है.डॉ सुन्दर रमन, ग्लोबल हैल्थ कोआरडीनेटर ऑफ पीपुल्स हेल्थ मूवमेंट बताते हैं कि यदि पूरी सूचनाओं से संपन्न कन्ट्रोल रूम हो तो रोगियों को उनके परिजनों में घबड़ाहट पैदा नहीं होती और उन्हें इलाज के लिए सड़कों पर भागना नहीं पड़ता. दोनों राज्यों द्वारा की गई इस उत्तम व्यवस्था के कारण इन राज्यों में रोगी अन्य राज्यों की तुलना में अधिक सुरक्षित हैं.
मेरा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि वे तुरंत अधिकारियों एवं डॉक्टरों की टीमें इन राज्यों में भेजें जो इन व्यवस्थाओें का अध्ययन कर उन्हें मध्यप्रदेश में शीघ्रातिशीघ्र लागू करवाएं. इससे न केवल राज्य इस महामारी का सामना बेहतर ढंग से कर सकेगा बल्कि रोगियों एवं उनके परिजनों को तनाव तथा कष्ट से काफी हद तक मुक्ति मिल सके.
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