बनारसी गायकी का एक नक्षत्र टूटा गया

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बनारसी गायकी का एक नक्षत्र टूटा गया

हेमंत शर्मा  
क्या कहूँ ?नहीं कह पा रहा हूँ. क्यों कि दिमाग सुन्न है. बनारसी गायकी का एक नक्षत्र टूटा गया .राजन जी उसी अनन्त में चले गए जहॉं से संगीत के सात सुर निकले थे.जोड़ी टूट गयी. अब साजन जी का स्वर अधूरा रह जायगा.राजन साजन मिश्र की इस जोड़ी ने बनारस के कबीर चौरा से निकल कर दुनिया में ख़्याल गायकी का परचम लहराया.बड़े राम दास, महादेव मिश्र, हनुमान प्रसाद मिश्र और राजन साजन मिश्र की पारिवारिक परम्परा चार सौ साल पुरानी है.राजन जी को संगीत की शिक्षा उनके दादा पंडित बड़े राम दास और पिता पं हनुमान मिश्रा ने दी थी.  

रससिध्दता उन्होंने पिता हनुमान प्रसाद मिश्र से ली.हलॉकि वो सांरगी वादक थे.चाचा पं गोपाल मिश्र इन्हें दिल्ली ले आए. घरानेदार  बंदिशों और ख़्याल गायन में आपकी जोड़ी सबसे लोक प्रिय थी. ठुमरी न गाकर केवल ख़्याल, टप्पा ,ध्रुपद और भजन गाकर राजन जी ने एक विशिष्ट शैली विकसित की.समूची दुनिया में उनकी संगीत यात्रा भैरव से भैरवी तक असमय रूक गयी.  

राजन जी से मेरा रिश्ता महज श्रोता और गायक का नहीं था. वे मेरे बड़े भाई के साथ पढ़ें थे.और  पिता जी के वे विद्यार्थी थे.इस लिए पारिवारिक नाता था.हम एक ही मुहल्ले में रहते थे. हमारे और उनके घरों के बीच सड़क थी. पान खाने के लिये उन्हें इस पार आना पड़ता और संगीत सुनने हमें उस पार जाना पड़ता. बनारस का कबीर चौरा संगीत का न्यूक्लियस था. पंडित कंठे महाराज से लेकर किशन महाराज और गोदई महाराज तक तबले की समृद्ध परंपरा यहीं विराजती थी. गिरिजा देवी की ठुमरी हो या सितारा देवी और गोपीकृष्ण के नृत्य की ताल. बड़े राम दास हनुमान प्रसाद मिश्र  या फिर पंडित राम सहाय राजन-साजन मिश्र का गायन.क्या मुहल्ला था. कलाओं की इस भूमि में विद्याधरी, सिद्धेश्वरी और हुस्नाबाई का आज तक कोई तोड़ नही. मोइजुद्दीन खान जैसा गायक. छप्पनछूरी खाने वाली जानकी बाई यही की थी. कुछ ही दूरी पर बिस्मिल्ला खॉं का सराय हडहा.सबकी जडें इसी मुहल्ले में थी. एक एक कर सब चले गए. कबीर चौरा सूना हो गया.  

तीन रोज़ पहले राजन जी को कोविड हुआ. हालत बिगड़ी तो घर के पास स्टीफ़ेन अस्पताल में दाखिल हुए.परसो से उनके आक्सीजन का लेवल नीचे जा रहा था. पर अस्पताल में वेंटिलेटर नहीं था.इसलिए कल सुबह हार्ट ने कुछक्षणों के लिए काम करना बंद किया.साजन जी परेशान हो सब तरफ़ गुहार लगा रहे थे. पर कोई सफलता नहीं.कई संगीत रसिकों और मित्रो ने ट्वीट किए. चिन्ता जताई. मुझे पता चला तो साजन जी से मैंने भी बात की. उन्होने बताया कि संबित पात्रा ने गंगाराम में इन्तजाम किया है.आप वाले सॉंसद संजय सिंह ने एम्बुलेंस भिजवाई है.आते ही जाऊगॉं उधर आक्सीजन के अभाव में दिल की धक धक मध्दिम पड़ रही थी.देर हो चुकी थी तब तक. और खबर आई द्रुत और विलम्बित के इस साधक की सॉंस सम पर ठहर गयी.वेंटिलेटर तक बिना पहुँचे  राजन जी चले गए.  

हमेशा हहाकर मिलना. वही मस्ती,वही आत्मीयता दिल्ली में बनारसियो को इक्कठा करने की कोशिश करने वाला केन्द्र अब नहीं रहा. बनारस एक नागरिकता है जिसका संबंध जन्म से नही, बल्कि डूब जाने से है. यही डूब कर गाना राजन जी की शैली थी.जो बनारस में डूब गया, वो बनारसी हो गया. बनारसीपन जन्म से नही होता पर जन्म जन्म साथ रहता है. आप बनारस की तरह जिन्दा रहेंगे राजन जी.हेमंत शर्मा की फेसबुक वाल से साभार ,फोटो भी 

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