एक स्मारक बनाने की इच्छा पूरी नहीं कर सकी सरकार

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एक स्मारक बनाने की इच्छा पूरी नहीं कर सकी सरकार

आलोक कुमार 
गुमला.परमवीर चक्र विजेता लांस नायक अलबर्ट  एक्का की धर्मपत्नी हैं बलमदीन एक्का.वह लंबे समय से बीमार चल रही थीं.बलमदीन एक्का का निधन हो गया है.शुक्रवार की रात करीब दो बजे चैनपुर स्थित आवास में अंतिम सांस ली.वह 91 साल की थीं.उनके जीते जी झारखंड सरकार उनकी वर्षों पुरानी मांग पूरी नहीं कर सकी.  

बता दें कि बिहार का विभाजन होने के  15 नवम्बर 2000 को झारखंड राज्य बना था.तब से झारखंडी सरकार ने शहीद अलबर्ट एक्का की धर्मपत्नी बलमदीन एक्का की मांग पूरी नहीं कर सकी.वह मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं मांग रहीं थी.वह मुख्यमंत्री की कुर्सी से शहीद पतिदेव अलबर्ट एक्का का स्मारक बनवाने का आग्रह कर रही थी.और रहने के लिए ढंग का आशियाना बनवा देने का आग्रह कर रही थीं. 

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर कहा कि परमवीर चक्र विजेता शहीद अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना एक्का का गुमला में शुक्रवार को निधन हो गया. वे 91 वर्ष की थीं.मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने परमवीर अलबर्ट एक्का की धर्म पत्नी बलमदीना एक्का के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया. मुख्यमंत्री ने परमात्मा से उनकी आत्मा की शांति और शोक संतप्त परिजनों को दुःख की इस घड़ी को सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना की है.आगे सीएम हेमंत ने ट्विटर पर अपने संदेश में लिखा- परमवीर चक्र विजेता, वीर शहीद अल्बर्ट एक्का जी की पत्नी बलमदीना जी के निधन की दुःखद सूचना मिली. बलमदीना जी संघर्ष की प्रतिमूर्ति थी.परमात्मा उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे. उनके जीते जी उनकी वर्षों पुरानी मांग पूरी न हो सकी, जिसका मुझे दुःख है. झारखंड सरकार उस पर कार्य कर रही है. 

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में लड़ाई में वीरगति प्राप्त हुए अलबर्ट एक्का मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.इसी तरह शहीद की पत्नी के मरणोपरांत बलमदीना एक्का की एक छोटी सी इच्छा एक स्मारक बनाने की पूरी होगी? इस तरह केंद्र और राज्य सरकार की ओर से इन शहीदों के सम्मान और उनके परिजनों और आश्रितों को हरसंभव सहायता दी जाती है.   

बता दें कि अलबर्ट एक्का का जन्म साल 1942 में गुमला जिला के छोटे से गांव जारी में हुआ था. उनके पिता जूलियस एक्का सेना के जवान थे, जबकि मां मरियम एक्का गृहिणी थीं. पिता ने द्वितीय विश्वयुद्ध में योगदान दिया था. रिटायर होने के बाद इच्छा जताई कि उनका बेटा अलबर्ट भी सेना में भर्ती हो. अलबर्ट ने प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सीसी पतराटोली और माध्यमिक शिक्षा भीखमपुर से हासिल की थी. चूंकि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए वो आगे की पढ़ाई नहीं कर सके. इसके बाद उन्होंने गांव में ही पिता के साथ खेती-बारी में हाथ बंटाना शुरू कर दिया. 

इस दौरान अलबर्ट ने दो वर्षों तक नौकरी की तलाश भी की, लेकिन कहीं नौकरी नहीं मिली. इसके बाद वो भारतीय सेना में शामिल हो गए. साल 1968 में अलबर्ट एक्का का विवाह बलमदीना एक्का से हुआ. वर्ष 1969 में उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, जिसका नाम भिंसेंट एक्का है. भिंसेंट मात्र दो वर्ष के थे, तभी वर्ष 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में अलबर्ट एक्का शहीद हो गये. पत्नी बलमदीना को अलबर्ट एक्का के शहीद होने का समाचार अपने ससुर से मिला.  

बलमदीना ने अपने बेटे भिंसेंट को खूब पढ़ाया. भिसेंट भी सेना में जाना चाहते थे, लेकिन मां की हालत देख वो सेना में नहीं गए. भिसेंट की शादी गांव में ही हुई. उसके दो बेटी और एक पुत्र है, सभी पढ़ाई कर रहे हैं. फिलहाल भिंसेंट एक्का जारी ब्लॉक में सरकारी नौकरी कर रहे हैं. 

बलमदीना एक्का ने सरकार से अपने लिए कई एकड़ जमीन या पैसे की कोई मांग नहीं की है. बूढ़ी और चलने-फिरने से मजबूर बलमदीना एक्का की अंतिम तमन्ना है कि उनके पति का स्मारक पैतृक गांव में ही उनके जीवित रहते बन जाएं. जिससे वे उस स्मारक पर पुष्प अर्पित कर उनके बलिदान को नमन कर सकें.साल 2015 में ही शहादत स्थल त्रिपुरा से उनकी मिट्टी जारी गांव लाकर स्मारक बनाने की बात राज्य सरकार की ओर से की गई, लेकिन अब तक यह काम भी अधूरा रहा है. 

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने भी शोक जताया है. उन्होंने कहा कि झारखंड के वीर सपूत और परमवीर चक्र विजेता लांस नायक अलबर्ट  एक्का जी की पत्नी बलमदीना एक्का जी के निधन की दुःखद सूचना मिली. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें. उनके परिजनों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करता हूं. 

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने परमवीर चक्र से सम्मानित शहीद लांसनायक अलबर्ट एक्का की पत्नी “बलमदीना एक्का” के निधन पर दुःख जताया है. 

राज्य के मंत्री चंपई सोरेन ने भी शोक जताया है. उन्होंने कहा कि झारखंड के गौरव एवं परमवीर चक्र से सम्मानित शहीद लांसनायक अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना एक्का जी के निधन की दुःखद सूचना मिली है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें, एवं परिजनों को यह दुख सहने की शक्ति दें. 


राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने परमवीर चक्र विजेता लांसनायक अलबर्ट एक्का की पत्नी वीरांगना बलमदीना एक्का के निधन पर गहरा दुःख व शोक प्रकट किया है. उन्होंने कहा कि बलमदीना एक्का अपने पति की भांति एक महान राष्ट्रप्रेमी थी. वे सरल एवं नेक हृदय की महिला थी जिसके लिये राष्ट्र प्रथम था. राज्यपाल ने कहा कि झारखण्ड राज्य की पहचान परमवीर चक्र विजेता लांसनायक अल्बर्ट एक्का एवं महान राष्ट्रप्रेमी बलमदीना एक्का जैसे व्यक्तित्व से भी है. राज्यपाल ने कहा कि बलमदीना एक्का एक समाजसेवी के तौर पर भी देखी गई है. वे समाज को मौन वाणी में भी जागरूक एवं प्रेरणा देने का कार्य करती थी. राज्यपाल ने उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए ईश्वर से उनकी आत्मा को चिरशांति प्रदान करने हेतु प्रार्थना की. 

परिजनों के अनुसार शहीद के समाधि स्थल के बगल में ही बलमदीना एक्का को दफनाया जायेगा. यहां बता दें कि जारी प्रखंड की सड़क खराब है. स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं है. अस्पताल नहीं बना है. बिजली भी ठीक ढंग से नहीं रहती है. इन्हीं समस्याओं के कारण बलमदीना बीते कई सालों से चैनपुर स्थित अपने बेटे भिंसेंट एक्का के घर पर रहती थी.

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