बेकाबू कोरोना, पीएम मोदी खामोश

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बेकाबू कोरोना, पीएम मोदी खामोश

हिसाम सिद्दीकी 
नई दिल्ली! कोविड-19 की दूसरी लहर ने पूरे देश को हिला दिया है. एक ही दिन में एक लाख चौरासी हजार (184000) से दो लाख तक नए मामले रिकार्ड में आए हैं. वह भी तब जब टेस्टिंग का मुनासिब बंदोबस्त नहीं है. यूपी जैसे सबसे बड़े प्रदेश में चारों तरफ हंगामा मचा है लेकिन टेस्टिंग का इंतजाम फिर भी नहीं हो पा रहा है. रोजाना तकरीबन पांच हजार मामलात सामने आ रहे हैं. मौतों की तादाद में भी बेतहाशा इजाफा हो रहा हैं घंटे, घड़ियाल, थालियां बजवाकर और दिए जलवाकर महज तेरह दिनों में कोरोना पर काबू पाने का दावा करने वाले वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी अब जैसे देश में हैं ही नहीं. उनकी आवाज कहीं सुनाई नहीं दे रही है. उनकी आवाज सिर्फ मगरिबी बंगाल में वोट मांगने के लिए सुनाई देती है. जहां उनकी रैलियों में कोरोना प्रोटोकाल की धज्जियां जम कर उड़ाई जा रही हैं. भीड़ में न कोई मास्क पहने होता है न जिस्मानी फासले पर अमल हो रहा है. उधर हरिद्वार में महाकुंभ के तीनों दिन के स्नान के दौरान चालीस-चालीस (40-48) लाख से ज्यादा अकीदतमंदों ने गंगा में डुबकी लगाई, न मास्क , न डिस्टेंसिंग न कोई कोरोना प्रोटोकाल, वहां दो दिनों में तकरीबन पचास (50) हजार लोग कोरोना का शिकार हुए, हरिद्वार पुलिस ने अंदेशा जाहिर किया है कि कुंभ के बाद कोरोना बम फूटने जैसी सूरतेहाल सामने आ सकती है. 
खबर लिखे जाने तक महाराष्ट्र में बाकायदा लाकडाउन का एलान तो नहीं हुआ था लेकिन सरकार की सख्ती से महाराष्ट्र में लाकडाउन जैसी सूरतेहाल दिख रही थी. कोरोना की वजह से महाराष्ट्र के मुंबई समेत कई बड़े शहरों में इंडस्ट्रीज के बंद होने की वजह से महाराष्ट्र में काम कर रहे दूसरे प्रदेशों के मजदूरों की बड़े पैमाने पर वापसी देखकर पिछले साल के लाकडाउन की याद आ गई. सिर्फ उत्तर प्रदेश के ही डेढ से दो लाख तक के मजदूर सिर्फ मुबई से अपने वतन वापस गए हैं. सेंट्रल रेलवे ने ट्रेनों की तादाद तो बढा दी लेकिन तमाम ट्रेनें रिजर्वेशन वाली थी. ट्रेन के नाम के साथ स्पेशल लफ्ज जोड़कर किराए की शक्ल में गरीब मजदूरों को लूटा गया. मजदूरों का कहना था कि वह जिन फैक्ट्रियों में काम करते थे उनके मालिकान ने कई दिन पहले फैक्ट्रियां बंद कर दी और उन्हें पैसे भी नहीं दिए. नतीजा यह कि उनके लिए ट्रेन का किराया अदा करना बहुत मुश्किल हो गया है. रेलवे ने स्टेशनों पर पीने के पानी का कोई इंतजाम नहीं किया जो पानी की बोतलें बिक रही थी वह इतनी कम थी कि उनके लिए बाकायदा छीना-झपटी तक मची. 
मोदी की मरकजी हुकूमत ने दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक हजरत निजाम उद्दीन में वाके मरकज की मस्जिद में नमाजियों की तादाद बीस तक महदूद कर दी लेकिन इसी सरकार ने कुंभ में इकट्ठा होने वाली लाखों की भीड़ रोकने की कोई कार्रवाई नहीं की. नतीजा यह कि इस बार का कुंभ कोरोना फैलने का एक बड़ा जरिया बन गया. समाजवादी पार्टी के सदर अखिलेश यादव कुंभ में शंकराचार्य स्वामी स्वस्पानंद सरस्वती से मिलने गए थे घर वापस पहुचे तो कोरोना पाजीटिव पाए गए. वजीर-ए-आला योगी आदित्यनाथ उनके ओएसडी और उनके सेक्रेटेरिएट में तैनात एक दर्जन से ज्यादा आईएएस अफसरान कोरोना पाजीटिव पाए गए. दिल्ली की एक टीचर का कहना था कि उसके परिवार के दस लोग कुंभ में गए थे वापस लौटे तो सबके सब कोरोना पाजीटिव पाए गए. इसके बावजूद कुंभ में जुटी भीड़ से जब कुछ टीवी चैनल के नुमाइंदों ने मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में सवाल किया तो उनका जवाब था कि कोरोना महज अफवाह है. ऐसी कोई बीमारी नहीं है और अगर है भी तो कुंभ में गंगा में डुबकी लगाने वालों के इर्द-गिर्द भी कोरोना आ नहीं सकता है. 
राजस्थान के हालात इतने बिगड़ गए कि अशोक गहलौत सरकार ने लाकडाउन का एलान तो नहीं किया लेकिन कर्फ्यू पूरे प्रदेश में लगा दिया. महाराष्ट्र समेत देश के दूसरे तमाम प्रदेशों में कर्फ्यू और लाकडाउन की वजह से कारोबार चौपट हो रहे हैं. एक अंदाजे के मुताबिक देश की मईशत (अर्थव्यवस्था) पर हर हफ्ते तकरीबन दस हजार करोड़ का नुक्सान होने का अंदाजा लगाया गया है. कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल से भी बडे़ पैमाने पर कोरोना फैलने की खबरें हैं. रात का कर्फ्यू तो तकरीबन हर जगह लगा हुआ है. 
कोरोना के नाम पर वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी ने अपने केयरफण्ड में हजारों करोड़ रूपए इकट्ठा कर लिए, रेलवे में सीनियर सिटीजन्स, रिटायर्ड फौजियों और जिस्मानी तौर पर माजूर (अपंगों) को मिलने वाली रियायतें खत्म कर दी गई. बैंकों में सेविंग पर शरह सूद (व्याज दर) कम कर दी गई. पब्लिक सेक्टर और सरकारी मोहकमों में एक लाख से ऊपर तंख्वाह पाने वालों की तंख्वाह आधी कर दी गई मरकजी व रियासती मुलाजमीन और पेंशन पाने वालों के डीए खत्म कर दिए गए. रेलवे का किराया बढा दिया गया लेकिन यह सब पैसा कहां गया किसी को नहीं पता. 
वजीर-ए-आजम मोदी ने रायसीना कांफ्रेंस के दौरान बड़े फख्र से कहा कि भारत सरकार एक तरफ तो अपने एक करोड़ तीस लाख शहरियों को कोरोना की वबा (महामारी) से बचाने की कोशिश में लगी है. दूसरी तरफ अस्सी मुल्कों को हमने कोरोना की वैक्सीन फराहम करने का काम किया है. वह दावा तो करते हैं कि एक सौ तीस करोड़ हिन्दुस्तानियों को बचाने की कोशिश तोक सरकार कर रही है लीकिन बजाहिर सरकार की कोशिशें झूट बोलने कोरोना मरीजों और मरने वालो की तादाद छुपाने की ही होती दिख रही है. हर तरफ से एक ही खबर आ रही है कि सरकार मौतों और मरीजों की तादाद छुपा रही है. वजीर-ए-आजम मोदी जिस वक्त रायसीना कांफ्रेंस में बोल रहे थे ठीक उसी वक्त बिहार के नालंदा मेडिकल कालेज के बाहर एक मरीज तड़प-तड़प कर मर रहा था. लेकिन उसे मेडिकल सहूलत देने की कोई कोशिश डाक्टरों ने नहीं की. बताया यह गया कि बिहार के हेल्थ मिनिस्टर मेडिकल कालेज का दौरा कर रहे थे तो सारे डाक्टर और दीगर अमला उनकी आवभगत में मसरूफ था. याद रहे कि बिहार में नितीश कुमार और भारतीय जनता पार्टी की साझे की सरकार है. बिहार में भी कोरोना से निपटने का कोई बंदोबस्त नहीं है. पटना में ही चार हजार से ज्यादा रोजाना कोविड के मरीज सामने आ रहे है. बिहार के आईएएस अफसर विजय रंजन कोरोनास पाजीटिव हुए उन्हें पटना एम्स में भर्ती कराया गया मगर वह बच नहीं सके. वहीं वैशाली जिले में आईएएस अफसर डाक्टर लल्लन कुमार राय ने भी कोरोना की जद में आकर दम तोड़ दिया. इसी के साथ सीआईडी इंस्पेक्टर राकेश कुमार की भी कोरोना से मौत हो गई. 
एक इत्तेला के मुताबिक मोदी हुकूमत अब छः करोड़ सैंतालीस लाख (64700000) कोविड वैक्सीन विदेशों को भेज चुकी है. जबकि अपने देश में आठ करोड़ वैक्सीन लगाई जा चुकी हैं. ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया ने कोविशील्ड वैक्सीन की एक्सपायरी मुद्दत छः महीने से बढाकर नौ महीने कर दी. यह फैसला कोविशील्ड बनाने वाली कम्पनी के सीईओ अदार पूनावाला और उनके दोस्त वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी के दबाव में किया गया है. डब्ल्यूएचओ ने एक्सपायरी मुद्दत छः महीने से नौ महीने किए जाने की सिफारिश ठुकरा दी. भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल को तलब भी किया. डब्ल्यूएचओ ने अदार पूनावाला की कम्पनी सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया को यह भी हिदायत दी कि वह वैक्सीन के फार्मूले में तरमीम करके उसे मुनासिब और ज्यादा पोटैसी में तैयार करे. सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया और ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया ने वैक्सीन की एक्सपायरी मुद्दत में जो घपला किया उसका नतीजा यह हुआ कि ब्रिटेन ने अपने मुल्क में तीस साल से कम उम्र के लोगां को कोविशील्ड वैक्सीन लगाने से रोक दिया.जदीद मरकज़

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