अजय श्रीवास्तव
नई दिल्ली .कांग्रेस के दिवंगत मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के यशस्वी पुत्र जगनमोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश की विधानसभा में भारी बहुमत हासिल की है.वाईएसआर कांग्रेस को लगभग 50 फीसद वोट मिले हैं जबकि तेलगुदेशम पार्टी को 39.1फीसद वोट मिले हैं.वाईएसआर कांग्रेस की विजयरथ यहीं नहीं रूकी,संसदीय चुनाव में 25 में से 22 सीटों पर उनके उम्मीदवार आगे हैं जो उनकी आशातीत सफलता को दर्शाती है.
नरेंद्र मोदी के सुनामी में बड़े बड़े सुरमा धाराशायी हो गए मगर जगनमोहन ने मजबूती के साथ टीडीपी और भाजपा का सामना किया और उन्हें नेस्तनाबूद कर दिया.
आपको बता दें जगमोहन रेड्डी ने वाईएसआर कांग्रेस का गठन मार्च 2011 में किया, इसके पहले वो कांग्रेस में थे और कडप्पा लोकसभा सीट से सांसद.जगमोहन के पिता राजशेखर रेड्डी आंध्र प्रदेश के बेहद लोकप्रिय मुख्यमंत्री थे,बताते हैं कि उनकी किसानों और मजदूरों में गजब की पैठ थी.किसान और मजदूर उन्हें अपना रहनुमा मानते थे.
एक दुर्भाग्यपूर्ण हेलीकॉप्टर दुर्घटना में आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी की मृत्यु हो जाती है.मुख्यमंत्री की खोज होने लगती है तब जगनमोहन कांग्रेस आलाकमान के समक्ष अपनी दावेदारी पेश करते हैं मगर आलाकमान वित्तमंत्री के. रोशैय्या को आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री बना देती है.जगनमोहन इस बात से बेहद खफा थे और उन्होंने अंदर हीं अंदर के.रोशैय्या का विरोध करना शुरू कर दिया.बेहद महत्वाकांक्षी जगनमोहन जानते थे कि कांग्रेस में रहकर मुख्यमंत्री बनना आसान नहीं है.
2010 में जगनमोहन ने "ओडारपु" यात्रा निकाली, इस यात्रा में वे लोगों से मिलते गए और उनकी समस्याओं को करीब से जाना.जिन किसानों ने उनके पिता की मृत्यु पर आत्महत्या की थी वे उनके परिवार से मिले.किसानों और मजदूरों ने उन्हें हाथों हाथ ले लिया.बताते हैं कि आंध्र प्रदेश के इतिहास में जगनमोहन रेड्डी की ये सबसे सफल यात्रियों में से एक थी.
जगनमोहन के बगावती तेवर को पहचानकर कांग्रेस आलाकमान ने मुख्यमंत्री के.रोशैय्या को हटाकर विधानसभा अध्यक्ष किरण कुमार को मुख्यमंत्री बनाया ताकि जगनमोहन के गुस्से को कम किया जा सके.मगर तब तक गोदावरी में काफी पानी बह चुका था.जगमोहन रेड्डी ने 29 नवंबर 2010 को कांग्रेस पार्टी और संसद से इस्तीफा दे दिया.
मार्च 2011 में जगनमोहन रेड्डी ने वाईएसआर कांग्रेस की स्थापना की, कांग्रेस से जुडा एक बडा तबका वाईएसआर कांग्रेस में शामिल हो गया.मार्च 2011 में कडप्पा सीट जिसपर जगनमोहन ने इस्तीफा दिया था उसपर उपचुनाव हुआ जिसमें जगन ने ऐतिहासिक सफलता हासिल की.2014 के विधानसभा चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस ने 175 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे जिसमें 67 सीटों पर विजय प्राप्त हुई.जगनमोहन विधानसभा में विपक्ष के नेता बने.
जगनमोहन की लोकप्रियता को देखकर लोगों ने ये कयास लगाने शुरू कर दिये थे कि ये एक दिन आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री बनेगा और राजनीतिक पंडितों की राय को जगनमोहन ने सही कर दिखाया है.अब जगनमोहन को अपनी पिता की विरासत(किसान और मजदूर)को आगे ले जाना है,अभी तक आंध्र प्रदेश में राजशेखर रेड्डी जैसा लोकप्रिय मुख्यमंत्री नहीं हुआ है अब ये देखना महत्वपूर्ण होगा कि वे अपने दिवंगत पिता की विरासत को कहां तक संभाल पाते हैं.जगमोहन में अपने पिता जैसा काबिलियत है या नहीं ये उनके अगले पांच वर्षों के शासन में स्पष्ट हो जाएगा.
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