सौमित्र राय
नरेंद्र मोदी का गुजरात आज संकट में है, लेकिन गोदी मीडिया का कोई चैनल इस पर सवाल नहीं उठा रहा है.मोदी ने 2001-2014 तक गुजरात पर राज किया.पर कुछ लोग इसे गुजरात का स्वर्णिम काल बताते हैं.फिर ऐसा क्या हो गया कि डोनाल्ड ट्रम्प से ग़रीबी छिपाने के लिए दीवार बनानी पड़ी?
क्या मोदी ने 15 साल के राज में गुजरात का स्वास्थ्य ढांचा सुधारा? अस्पताल, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं, चिकित्सा सहायता वगैरह?
अगर ऐसा होता तो आज गुजरात हाई कोर्ट को स्वतः संज्ञान लेते हुए कोरोना से निपटने में विजय रुपाणी की सरकार पर सवाल न खड़े करने पड़ते.जी हां.कल सोमवार को रूपाणी सरकार कटघरे में होगी.
चीफ जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा- स्थानीय अखबार, चैनल सभी डरावनी रिपोर्ट पेश कर रहे हैं.न केवल टेस्टिंग, बल्कि बेड्स की उपलब्धता, आईसीयू , ऑक्सीजन सप्लाई और रेमडेसीवीर तक की सप्लाई में कमी है.उन्होंने साफ कहा-राज्य चिकित्सकीय आपातकाल की ओर बढ़ रहा है.
मीडिया के बिके हुए लोग कोविड से सर्वाधिक प्रभावित 10 राज्यों में गुजरात को नहीं गिनते.यही नरेंद्र मोदी हैं, जिनके गुजरात मॉडल को हवा भरकर 2014 में पेश किया गया और आपने उसे खुदा मानकर कुर्सी पर बिठा दिया.उसके बाद से साढ़े सात साल में मोदी फेंकते जा रहे हैं और आप बेशर्मी से व्हाट्सएप पर लपेट रहे हैं.बहरहाल, ऐसी ही संवेदनशीलता अगर एमपी हाई कोर्ट भी दिखाए और मीडिया थोड़ी शर्म दिखाते हुए रिपोर्टिंग करे तो मामा की मामागीरी ज़मीन पर आ गिरे.साभार सौमित्र राय की वाल से
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