आलोक कुमार
पटना.यह राजधानी पटना का सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच है.यहां पर पटना के बाढ़ के रहने वाले चुन्नू कुमार को भर्ती किया गया.जो ब्रेन हैमरेज के मरीज हैं. वे ईश्वर की कृपा से जीर्वित हैं.मगर धरती के भगवान ने चुन्नू कुमार को मृत घोषित कर डेडबॉडी परिजनों को सौंप दिया.वटवृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने पति व्रत की प्रभाव से मृत पड़े सत्यवान को पुनः जीवित किया था.सावित्री की ही तरह चुन्नू कुमार की पत्नी कविता देवी को यकीन नहीं हो रहा था कि उसका सुहाग उजर गया.वह (पत्नी )अंतिम संस्कार से पहले पति को देखने की इच्छा जताई तब जाकर सच्चाई सामने आयी.
इस बार बड़ा अस्पताल पीएमसीएच ने तो एक जिंदा आदमी को मृत बताकर न सिर्फ उसका डेडबॉडी परिजनों को सौंप दिया बल्कि डेथ सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया. ये तो संयोग था कि अंतिम संस्कार से पहले पत्नी ने पति को देखने की इच्छा जताई तब जाकर सच्चाई सामने आयी.
जी हां यह हाल बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच का है. जहां धरती के भगवान ने करिश्मा कर दिखाया है. जीर्वित को मृत घोषित कर पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कर ने डेथ सर्टिफिकेट बना डाला. कोविड से 40 साल के एक शख्स की मौत का प्रमाणपत्र दिया गया और फिर पैक कर उसकी डेडबॉडी भी परिजनों को सौंप दी, जबकि वह आदमी जिंदा है.इसी अस्पताल में है. उसकी स्थिति में सुधार भी है. प्रमाणपत्र गलत दिया और डेडबॉडी दूसरे की, यह पता भी इसलिए चल गया क्योंकि कोविड पॉजिटिव के बावजूद परिजनों ने अंत्येष्टि से पहले कफन हटाकर मृतक का चेहरा देख लिया. अंत्येष्टि से पहले दूसरे की डेडबॉडी देख परिजन वापस पीएमसीएच पहुंचे और अंदर जाकर पड़ताल की तो अपने मरीज को जिंदा पाया. इस करिश्मे से एक तरफ परिजन खुश हैं कि उनका मरीज जिंदा है और गुस्से में हैं कि उन्हें गमज़दा कर परेशान किया गया.
खुशी और गुस्सा, दोनों है.मृत बताए जाने पर सुहाग के लिए रोकर वापस आई महिला को पति के जिंदा होने की खबर से राहत भरी खुशी मिली, हालांकि पूरा परिवार लापरवाही को लेकर अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ गुस्से में है.
पटना के बाढ़ के रहने वाले चुन्नू कुमार को ब्रेन हैमरेज हुआ था. इसके बाद शुक्रवार को उन्हें पीएमसीएच में भर्ती कराया गया था.परिजनों का आरोप है कि भर्ती कर बेड दिलाने के लिए भी उनसे 200 रुपये लिए गए थे.अंदर किसी को जाने भी नहीं दिया जा रहा था.इसके बाद शनिवार की रात परिजनों ने एक स्टाफ को 150 रुपये देकर मरीज का वीडियो अंदर से बनवाकर मंगाया. तब वो ठीक थे.आज रविवार की सुबह 10 बजे के करीब बताया गया कि आपके मरीज की स्थिति खराब हो गई है.फिर एक घंटे बाद उन्हें मृत बताकर अस्पताल ने सब कागजी कार्रवाई कर दी और डेडबॉडी को पैक कर हमें दे दिया.
चुन्नू कुमार की पत्नी कविता देवी के अनुसार उन्हें जब मौत की जानकारी मिली तो एक पल के लिए समझ ही नहीं आया कि क्या करें.अस्पताल में कहा गया कि डेडबॉडी घर नहीं ले जाना है.इसके बाद हमलोग बॉडी लेकर अंतिम संस्कार के लिए बांसघाट गए.वहां मशीन पर चढ़ाने से पहले मैंने अंतिम बार चेहरा देखने की जिद की.इस पर भी रुपये मांगे गए और तब चेहरा दिखाने के लिए बॉडी को खोला गया.लेकिन मैं दूर से भी पहचान गई. न चेहरा उनका था, न कपड़े, न कदकाठी.तब हमलोगों ने संस्कार करने से मना कर दिया और वापस पीएमसीएच आ गए.
कविता देवी ने आगे बताया कि जब मैंने डेडबॉडी को पहचान लिया तभी मुझे लग गया था कि मेरे पति जिंदा हैं. उस समय जो शॉक लगा था और अब जो ख़ुशी मिली है, उसे शब्दों में बता नहीं सकते.उन्होंने कहा कि पैर में प्लास्टर होने की वजह से मेरे पति दिसंबर से ही बेड पर थे. हमलोगों ने अपने परिवार में सबका कोरोना टेस्ट करवा लिया, किसी को कुछ नहीं निकला, फिर उनको पॉजिटिव कैसे बता दिया सब, समझ नहीं सकते.हमलोग इस मामले में जहां तक हो सकेगा, शिकायत करेंगे ताकि किसी और को ऐसी परेशानी न उठानी पड़े.
चुन्नू की पत्नी और वहां मौजूदा परिजनों के अनुसार अस्पताल में कोरोना इलाज के नाम पर बड़ी लापरवाही बरती जा रही है.शुक्रवार को जब चुन्नू को कोरोना पॉजिटिव बताया गया तो परिवार के 12 सदस्यों ने अपना भी टेस्ट कराया.छोटे बच्चों से लेकर 70 वर्ष के बुजुर्ग तक निगेटिव निकले.चुन्नू भी चार माह ने बेड पर पड़े थे.बिना कहीं बाहर गए सिर्फ वो कैसे पॉजिटिव हो गए, यह सवाल परिवार उठा रहा है.उनका यह भी कहना है कि ब्रेन हैमरेज के पेशेंट को, जिसे तत्काल इलाज की जरूरत है, कोरोना के नामपर अलग रख दिया गया है. कहा गया कि जबतक निगेटिव नहीं होंगे, तब तक आगे इलाज नहीं होगा.
इस लापरवाही पर पीएमसीएच के सुपरिटेंडेंट डॉ इंदु शेखर ठाकुर ने कहा कि जानकारी मिली है.हम इसकी जांच करा रहे हैं.हेल्थ मैनेजर या जिस भी स्तर से गड़बड़ी मिलेगी, कार्रवाई करेंगे. जो डेडबॉडी दी गई थी, वो मंगा ली गई है. हम अभी पीएमसीएच में सुविधाएं बढ़ाने में लगे हुए हैं.जल्द ही आम मरीजों के लिए 20 बेड और मिल जाएंगे.
बता दें कि पीएमसीएच को बिहार का सबसे बड़ा अस्पताल होने का दर्जा प्राप्त है. आने वाले दिनों में यहाँ पांच हज़ार करोड़ की लागत से अस्पताल का निर्माण कराया जायेगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल बनाना चाहते हैं, लेकिन अपनी कारगुजारियों से आये दिन अस्पताल प्रबंधन की किरकिरी होती रहती है.
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