खुदा बख्श लाइब्रेरी को तोड़े जाने का विरोध हुआ तेज

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खुदा बख्श लाइब्रेरी को तोड़े जाने का विरोध हुआ तेज

आलोक कुमार  
पटना.विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक धरोहर खुदा बख्श लाइब्रेरी के एक हिस्से पर मंडरा रहे खतरे के बीच इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है. धरोहर संरक्षण के लिए काम कर रही संस्था के सदस्यों ने नीतीश कुमार से कर्जन रीडिंग रूम को तोड़े जाने से बचाने के लिए दखल देने की अपील की है. दरअसल, कारगिल चौक से पटना के एनआईटी पटना तक 2.2 किमी लंबा डबल डेकर फ्लाईओवर बनना है. बिहार पुल निर्माण निगम लिमिटेड के प्रस्तावित एलिवेटेड सड़क निर्माण की राह में कर्जन रीडिंग रूम और बगीचा बाधा बन रहा है. 
विश्व प्रसिद्ध खुदा बख्श लाइब्रेरी के एक हिस्से को तोड़े जाने का विरोध शुरू हो गया है. खुदा बख्श लाइब्रेरी का कर्जन रीडिंग रूम और बगीचा सड़क निर्माण की राह में बाधा बन रहा है. बिहार सरकार को लगता है कि अशोक राजपथ पर लगनेवाले जाम से छुटकारा के लिए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई एक मात्र रास्ता है. 
बताते चले कि खुदाबक़्श पुस्तकालय की शुरुआत मौलवी मुहम्मद बक़्श जो छपरा के थे उनके निजी पुस्तकों के संग्रह से हुई थी.वे स्वयं कानून और इतिहास के विद्वान थे और पुस्तकों से उन्हें खास लगाव था.उनके निजी पुस्तकालय में लगभग चौदह सौ पांडुलिपियाँ और कुछ दुर्लभ पुस्तकें शामिल थीं.1876 में जब वे अपनी मृत्यु-शैय्या पर थे उन्होंने अपनी पुस्तकों की ज़ायदाद अपने बेटे को सौंपते हुये एक पुस्तकालय खोलने की इच्छा प्रकट की. इस तरह मौलवी खुदाबक़्श खान को यह सम्पत्ति अपने पिता से विरासत में प्राप्त हुई जिसे उन्होंने लोगों को समर्पित किया.खुदाबक़्श ने अपने पिता द्वारा सौंपी गयी पुस्तकों के अलावा और भी पुस्तकों का संग्रह किया तथा 1888 में लगभग अस्सी हजार रुपये की लागत से एक दो मंज़िले भवन में इस पुस्तकालय की शुरुआत की और 1891 में 29 अक्टूबर को जनता की सेवा में समर्पित किया. उस समय पुस्तकालय के पास अरबी, फारसी और अंग्रेजी की चार हजार दुर्लभ पांडुलिपियाँ मौज़ूद थीं. क़ुरआन की प्राचीन प्रतियां और हिरण की खाल पर लिखी क़ुरानी पृष्ठ भी मौजूद हैं. 
पटना में स्थित खुदा बख्श ओरिएटल पब्लिक लाइब्रेरी अरबी, फारसी, उर्दू पांडुलिपियों और मुगल, राजपूत, तुर्की, ईरानी और मध्य एशियाई स्कूल के दुर्लभ चित्रों के प्रमुख भंडारों में एक है.लाइब्रेरी लैन और इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ ईमेल सुविधाओं से लैस है. 
मां भारती के एक महानतम पुत्र खुदा बख्श ( 1842-1908) के द्वारा 1891 में इस लाइब्रेरी की स्थापना की गयी.1969 में संसद के एक अधिनियम द्वारा लाइब्रेरी को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा प्राप्त हुआ.जुलाई 1970 से यह भारत सरकार द्वारा गठित एक बोर्ड के शासन के तहत स्वायत्त संस्थान के रूप कार्य कर रही है. 
इसके समृद्ध संग्रह में मौजूद अमूल्य पांडुलिपियों, दुर्लभ मुद्रित पुस्तकों और मुगल ,राजपूत,तुर्की,ईरानी और मध्य एशियाई स्कूल के मूल चित्रों के कारण यह पुस्तकालय दुनिया भर में ख्यातिलब्ध है.यह एक उत्कृष्ट शोध पुस्तकालय के रूप में उभरा है जहां बड़ी संख्या में दुर्लभ पांडुलिपियां मौजूद है. जिनमें से कुछ बहुत प्रसिद्धि हुयीं. 
इस बीच विश्व प्रसिद्ध खुदा बख्श लाइब्रेरी के एक हिस्से को तोड़े जाने का विरोध शुरू हो गया है. खुदा बख्श लाइब्रेरी का कर्जन रीडिंग रूम और बगीचा सड़क निर्माण की राह में बाधा बन रहा है. बिहार सरकार को लगता है कि अशोक राजपथ पर लगनेवाले जाम से छुटकारा के लिए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई एक मात्र रास्ता है. 

विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक धरोहर खुदा बख्श लाइब्रेरी के एक हिस्से पर मंडरा रहे खतरे के बीच इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है. धरोहर संरक्षण के लिए काम कर रही संस्था के सदस्यों ने नीतीश कुमार से कर्जन रीडिंग रूम को तोड़े जाने से बचाने के लिए दखल देने की अपील की है. दरअसल, कारगिल चौक से पटना के एनआईटी पटना तक 2.2 किमी लंबा डबल डेकर फ्लाईओवर बनना है. बिहार पुल निर्माण निगम लिमिटेड के प्रस्तावित एलिवेटेड सड़क निर्माण की राह में कर्जन रीडिंग रूम और बगीचा बाधा बन रहा है. 

पटना चैप्टर के संयोजक जेके लाल ने कहा, "हमें इस लाइब्रेरी को बचाना है और जरूरत पड़ी तो हम अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे." उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखने की बात कही और बताया कि नीतीश कुमार से लाइब्रेरी को बचाने की गुहार लगाई जाएगी और जन अभियान भी शुरू किया जाएगा. शनिवार को चैप्टर की तरफ से लाइब्रेरी में मीटिंग बुलाई गई थी जिसमें संस्था के सदस्यों ने हिस्सा लिया. 


मीटिंग खत्म होने के बाद बयान जारी किया गया, "खुदा बख्श लाइब्रेरी का दौरा मशहूर हस्तियों जैसे महात्मा गांधी, लॉर्ड कर्जन, वैज्ञानिक सीवी रमन, जवाहर लाल नेहरू, राजेंद्र प्रसाद, एपीजे अब्दुल कलाम और कई राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश कर चुके हैं." 

कर्जन रीडिंग यूनेस्को की तरफ से संरक्षित विरासत घोषित है. उसकी स्थापना को 100 साल से ज्यादा हो गए हैं. खुदाबख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी में 20 हजार से अधिक ऐतिहासिक महत्व की पांडुलिपि और ढाई लाख से अधिक किताबें हैं. लाइब्रेरी में इस्लामिक साहित्य से जुड़ी विभिन्न भाषाओं में दुनिया का शानदार संग्रह मौजूद है. विशाल संग्रह से फायदा उठाने और रिसर्च करने के लिए दुनिया भर से शोधकर्ता पहुंचते हैं. 

संस्था का कहना है कि विकास का औचित्य महत्वपूर्ण लाइब्रेरी की कीमत पर नहीं ठहराया जा सकता. अशोक राजपथ पर लगनेवाले जाम को कम करने के लिए कई अन्य विकल्प मौजूद हैं. जिला प्रशासन को चाहिए की संस्था की तरफ से उपलब्ध कराए गए विकल्पों पर विचार करे. 
 

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