माले ने माओवादियों के हमले की निंदा की

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

माले ने माओवादियों के हमले की निंदा की

नई दिल्ली .छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के सुकमा में केंद्रीय सुरक्षा बलों के 22 जवानों की हत्या निन्दनीय व दुखद घटना है.मारे गए जवानों के परिजनों के प्रति हम गहरी संवेदनायें व्यक्त करते हैं.रिपोर्टों के अनुसार इस हमले में शामिल 15 माओवादी भी मारे गए. 

जब देश में ऐतिहासिक किसान आंदोलन चल रहा है, और उसके साथ ही सार्वजनिक उद्यमों के निजीकरण के विरुद्ध मज़दूरों का संघर्ष, रोजगार के लिए युवाओं का संघर्ष तेज़ हो रहा है, और पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, ऐसे में माओवादियों का सैन्य हमला इन जनांदोलनों को , एवम वर्तमान चुनावों में आंदोलन के सवालों को प्रमुख मुद्दा बनाने की कोशिशों को अपूरणीय क्षति पहुंचाने वाला काम है. 

केंद्र सरकार के बार बार दुहराए जाने वाले दावे कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में , बस्तर के आदिवासी इलाकों में काम करने वाले लोकतांत्रिक कार्यकर्ताओं की धरपकड़, नोटबन्दी जैसी कार्यवाहियां इस क्षेत्र में माओवादी हिंसा और टकराव को खत्म कर देंगी, बारबार गलत साबित हुए हैं.केंद्र सरकार को बताना चाहिए कि क्यों इंटेलिजेंस एजेंसियां और सरकारी कोशिशें पुलवामा और सुकमा जैसी घटनाओं को रोकने में बार बार नाकाम हो जाती हैं.

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :