हिसाम सिद्दीक़ी
वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी के छुटभैय्या लोग अक्सर जो झूटे और मुतनाजा (विवादास्पद) बयानात देते रहते हैं वह गलती से नहीं देते बल्कि जानबूझकर इस मकसद से देते हैं इनके झूटे और मुतनाजा बयानात के जवाब में लोग बयानबाजी करें और फिर कई दिनों तक इन्हीं बयान बहादुरों की चर्चा होती रहे. दूसरे अहम मुद्दों पर बात न होने पाए, मतलब यह कि यह लोग एक सोची समझी साजिश के तहत ही ऐसा करते हैं. वजीर-ए-आजम मोदी जिन्होने बांग्लादेश में जाकर एक झूटा शोशा छोड़ते हुए कह दिया कि 1971 में जब पूर्वी पाकिस्तान कहे जाने वाले इस इलाके में अलग बांग्लादेश बनाने की मुहिम चल रही थी उस वक्त उनकी उम्र कोई बीस-बाइस बरस की थी और तब उन्होने भी बांग्लादेश तहरीक की हिमायत में भारत में सत्याग्रह किया था और गिरफ्तार होकर जेल भी गए थे. वह बांग्लादेशी अवाम पर एहसान लाद रहे थे कि उन्होने भी बांग्लादेश बनवाने में अपना सरगर्म तआवुन दिया था. इसी के साथ मोदी ने बांगलादेश की सरजमीन से मगरिबी बंगाल असम्बली एलक्शन में वोट हासिल करने जैसी तकरीर करके बंगाली वोटरों को भी साधने की भरपूर कोशिश की, जिस पर टीएमसी चीफ ममता बनर्जी ने सख्त एतराज किया. ममता बनर्जी ने एलक्शन कमीशन की खामोशी पर भी हमला किया और याद दिलाया कि बंगाल में जब टीएमसी की हिमायत में बांग्ला फिल्मों के मशहूर अदाकार कोलकाता आए थे तो बीजेपी की ही शिकायत पर एलक्शन कमीशन ने उन बंगलादेशी अदाकार का वीजा तक मुस्तरद करने के लिए कहा था, लेकिन अब जब नरेन्द्र मोदी ने विदेशी धरती से एलक्शन मुहिम चलाई तो एलक्शन कमीशन ने खामोशी अख्तियार कर ली.
नरेन्द्र मोदी ने बांग्लादेश में खड़े होकर झूट बोला वह वापस आए तो बड़ी तादाद में लोगों ने उनके झूट पर एतराज किया. नतीजा यह कि कम से कम एक हफ्ते तक महंगाई, पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की आसमान छूती कीमतों का मामला पीछे चला गया. किसी ने आरटीआई डालकर सवाल किया कि अगर बांग्लादेश की मुहिम के दौरान नरेन्द्र मोदी ने सत्याग्रह किया था और जेल गए थे तो बताया जाए कि वह देश की किस जेल में कैद किए गए थे और कितने दिनों तक जेल में रहे थे? खुद मोदी को ही बता देना चाहिए कि गिरफ्तार होकर वह किस जेल में भेजे गए थे और कितने दिनों बाद उनकी रिहाई हुई थी? हां इतना पता जरूर चला है कि पंडित अटल बिहारी वाजपेयी ने अगस्त 1971 में भारतीय जनसंघ के लीडर की हैसियत से बांग्लादेश आंदोलन की हिमायत में पार्लियामेंट के सामने सत्याग्रह जरूर किया था और जेल भी गए थे. उस वक्त नरेन्द्र मोदी भी उनके सत्याग्रह में शामिल थे या नहीं इसका कोई रिकार्ड नहीं मिलता है. लेकिन यह तो ठहरे नरेन्द्र मोदी झूट बोलना उनकी आदत में शुमार है इसी लिए वह बांग्लादेश में अपने लिए तालियां बजवाने के लिए यह झूट बोल आए कि बांग्लादेश बनवाने के लिए उन्होंने सत्याग्रह किया था और जेल भी गए थे.
पीएम मोदी किसी मुल्क का दौरा करें और तनाजा (विवाद) न पैदा हो यह कैसे मुमकिन है यह दीगर बात है कि भारतीय मीडिया खुसूसन टीवी चैनल उनके खिलाफ विदेशों में होने वाले मुजाहिरों और मुखालिफ रैलियों की एक झलक तक नहीं दिखाते हैं लेकिन अब तो सोशल मीडिया का जमाना है किसी भी बात पर पूरी तरह पर्दा नहीं डाला जा सकता है. अमरीका और लंदन के मोदी के दौरों के वक्त उनके खिलाफ जो मुजाहिरे हुए थे उनके वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए थे अब भी वह मौजूद हैं. अब वह बांग्लादेश के दौरे पर गए तो उनके खिलाफ हिफाजत-ए-इस्लाम नाम की तंजीम ने जबरदस्त मुजाहिरा किया जितने लोग शेख हसीना सरकार ने मोदी के लिए इकट्ठा किए थे उनसे कई गुना ज्यादा लोग सड़कों पर थे. उनके हाथों में बैनर और प्लेकार्ड थे जिनपर लिखा था ‘किलर (कातिल) मोदी’ और ‘मोदी गो बैक’. भीड़ सड़कों पर जबरदस्त नारे बाजी कर रही थी. मुजाहिरीन की बेशुमार भीड़ की वजह से हालात इतने खराब हुए कि पुलिस ने फायरिंग की जिसमें तकरीबन एक दर्जन लोग मारे गए.
उत्तराखण्ड के नए चीफ मिनिस्टर तीरथ सिंह रावत ने फटी जीन्स और मुसलमानों के यहां बीस-बीस बच्चे पैदा होने की बदजुबानी की अभी उनकी बदजुबानी पर हंगामा जारी ही था कि उत्तर प्रदेश के एक जूनियर वजीर ने मुस्लिम ख्वातीन को बुर्के से आजादी दिलाने का ठेका ले लिया जाहिर है कि न तो तीरथ सिंह रावत के एतराज से फटी जीन्स पहनने का रिवाज खत्म होगा न मुसलमानों में बीस-बीस बच्चों का झूट सच में तब्दील हो जाएगा और न उत्तर प्रदेश के किसी वजीर की इतनी हैसियत है कि वह मुस्लिम ख्वातीन को बुर्के से आजादी दिला सके लेकिन इस किस्म की बदजुबानी करके इन लोगों ने भी मोदी की तरह अपना यह मकसद जरूर पूरा कर लिया चंद दिनों के लिए इन्होने भी अस्ल मुद्दों से आम लोगों का ध्यान हटा लिया थोड़े दिनों बाद दूसरी बदजुबानी करेंगे झूट बोलेंगे.
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