राजनीति का नया हथियार बन गया है एनआईए ?

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राजनीति का नया हथियार बन गया है एनआईए ?

पंकज चतुर्वेदी                                                                        
मैं आये रोज आपके साथ कुछ ऐसी खबर साझाँ करता हूँ जो न तो आपके अखबार में होती हैं न टीवी पर ? ऐसा इस लिए कि काश आप लोग जान सकें कि मीडिया आपके दिमाग को नफरत , उन्माद के लिए तैयार कर रहा है और हमारे पास मानवाधिकार , देश  के कानून के पालन, हमारी कार्यपालिका की निष्पक्षता के बारे में सोचने को समय ही नहीं हैं . ताजा मामला आंध्र प्रदेश और तिलंगाना का है जहां केंद्र की एजेंसी एनआईए लोगों का शिकार कर रही हैं .  
एनआईए ने एपी और तेलंगाना में 25 से अधिक मानवाधिकार, नागरिक स्वतंत्रता, नारीवादी कार्यकर्ताओं और प्रगतिशील लेखकों और वकीलों के घरों पर छापा मारा है। छापेमारी 31 मार्च की दोपहर से शुरू हुई और अधिकांश कार्यकर्ताओं के यहाँ 1 अप्रैल को दिन  तक जारी रही। एनआईए ने छापेमारी में अधिकांश लोगों के फोन, कंप्यूटर, लैपटॉप और कुछ किताबें और कागजात जब्त किए। 
आप सभी को उन दो एफआईआर के बारे में पता है, जो एपी पुलिस ने दर्ज की थीं, मुंचिंगपुट पुलिस स्टेशन में पहला, विशाखापट्टनम (47/2020) दिनांक 23 नवंबर 2020 को और दूसरा गुंटूर जिले की एफआईआर संख्या 606-202, पीदुगुरला शहर पुलिस स्टेशन में , दिनांक 24 नवंबर, 2020 को । 
एफआईआर नंबर 47/2020 में कुल 80 लोग आरोपी थे, जिनमें 27 लोग गुंटूर एफआईआर में नामजद थे। जिन धाराओं के तहत मुंचिंगपूत प्राथमिकी दर्ज की गई, वे इस प्रकार थीं- 120 (बी), 121, 121 (ए), 143, 144, 124 (ए) आर / डब्ल्यू 149 (सभी आईपीसी धारा), यूएपीए धारा 10, 13 और 18 , एपी पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट, 8 (1) और 8 (@) और आर्म्स एक्ट की धारा 25। 
एनआईए हैदराबाद ने 7 मार्च, 2021 को मुंचिंगपूत पुलिस थाने की एफआईआर की जांच की और उनके द्वारा प्राथमिकी संख्या RC-1/2021 / NIA / HYD दर्ज की गई। 
कल, 31 मार्च की दोपहर, एनआईए ने 25 से अधिक वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के घरों पर छापा मारा, जो ज्यादातर मानवाधिकार, नागरिक स्वतंत्रता, महिला और लेखक संगठनों से संबंधित हैं, शिक्षाविद, लेखक, नारीवादी और वकील हैं। छापेमारी आज तड़के तक जारी रही। उन कुछ छापे के नाम इस प्रकार हैं। 
क्रांतिकारी लेखक संघ: 1. पाणि, (कुरनूल जिला), 2. वरलक्ष्मी (कडपा जिला), 3. अरुण (कुरनूल जिला)। 
चैतन्य महिला संगम, 4. देवेंद्र, 5. शिल्पा, 6. स्वप्न, 7., 8. राजेश्वरी (गुंटूर), 8. पद्म (विशाखापत्तनम)। 
आंध्र प्रदेश सिविल लिबर्टीज कमेटी (APCLC), 9. रघुनाथ, हैदराबाद, 10. चिलिका चंद्रशेखर (गुंटूर जिला), 11 चिट्टी बाबू, पूर्वी गोदावरी। 
मानव अधिकार मंच (HRF), 12, कृष्णा (विशाखापट्टनम) 
प्रजाकला मंडली 13. दप्पू रमेश, (हैदराबाद) 
अमरुला बंधु मित्रुला ने मार्क्सवादियों (एबीएमएस) के मित्र और रिश्तेदार  
14. अंजम्मा (प्रकाशम जिला),  
15. सिरिशा, (प्रकाशम जिला) वकील, 16. विशाखापट्टनम के केएस चेलम। 
जान लें यह जन सरोकार से जुड़ें लोगों को कुचलने की बड़ी साजिश है जिसमें एनआईए और यूंएपीए एक हथियार है .  
जिन लोगों को  अब यूंएपीए में फंसाया जा रहा हैं वे असल में  भारतीय लोकतांत्रिक कानूनों के दुरूपयोग , अवैध गिरफ्तारी और सरकारों के दमनात्मक रवैये के खिलाफ आवाज़ उठाते रहे हैं  ये लोग महिला अधिकार,  साम्प्रदायिकता , विकास का नाम, लोगों की भूमि और वन अधिकारों की रक्षा करना आदि मसलों पर प्रतिरोध का स्वर बुलंद करते रहे हैं  
यह शर्मनाक है कि लोकतंत्र में प्रतिरोध के सशक्त अधिकार को अब देश- द्रोह कह दिया जाता है और यूंएपीए में गिरफ्तार कर लम्बे समय तक जेल में रख कर प्रताड़ित करने की साजिश रची जाती है .  
कहने को ये सरकारे केंद्र सरकार से अलग राजनितिक दलों की हैं लेकिन उनके मुख्य मंत्रियों पर सीबीआई, ईडी की ऐसी तलवारें लटकी हैं कि वे छद्म एजेंडा लागु कर रहे हैं. असल में  देश की सियासत  का यह बहुसंख्यक हितकारी दिखाने का दौर है , जिसमे तर्क और विचारों को कुचलना जरुरी होता है . 







 

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